जैसी आशंका जताई जा रही थी, वैसा ही होता दिख रहा है। लॉकडाउन के बाद प्रवासी लोगों के गांवों में पहुंचने से कोरोना का संक्रमण अब वहां भी पहुंच गया है। अंग्रेजी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया (टीओआई) के मुताबिक़, कई राज्यों में ऐसी स्थितियां देखने को मिली हैं। जैसे - राजस्थान के डूंगरपुर, जालौर, जोधपुर, नागौर में बीते कुछ दिनों में संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़े हैं और इन जगहों पर बड़ी संख्या में प्रवासी वापस लौटे हैं।
इसी तरह आंध्र प्रदेश में पहले कोरोना का संक्रमण शहरी इलाक़ों तक सीमित था लेकिन अब ग्रामीण इलाक़ों से भी इसके मामले आ रहे हैं। पिछले तीन हफ़्तों में आए 1500 मामलों में से लगभग 500 मामले गांवों से आए हैं।
टीओआई के मुताबिक़, इसी तरह उड़ीसा में भी कोरोना वायरस के संक्रमण के 80 फ़ीसदी मामले गांवों से आए हैं। राज्य में 4.5 लाख प्रवासी वापस लौटे हैं।
बिहार में क्वारेंटीन सेंटर्स होंगे बंद
बिहार में संक्रमण के कुल मामलों में से 70 फ़ीसदी मामले बाहर से आने वाले लोगों के कारण हैं। लेकिन परेशानी की बात यह है कि बिहार सरकार क्वारेंटीन सेंटर्स को बंद करने का फ़ैसला ले चुकी है। और यहां तक कि अब प्रवासियों की न थर्मल स्कैनिंग होगी और न ही किसी तरह का रजिस्ट्रेशन। बिहार में आए 4,049 मामलों में से 2,905 मामले उन प्रवासियों के हैं, जो 3 मई के बाद वापस लौटे हैं।
कई जगहों पर प्रवासियों द्वारा क्वारेंटीन के नियमों को नहीं मानने के कारण भी संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं।
टीओआई के मुताबिक़, प्रवासियों के लौटने के बाद पश्चिम बंगाल के मालदा, दिनाजपुर, हुगली और कूच बिहार में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं। राज्य में 6 लाख प्रवासी कामगार अब तक वापस लौट चुके हैं।
छत्तीसगढ़ में भी ऐसे ही हालात हैं। 30 मई तक के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में संक्रमण के कुल मामलों में से 90 फ़ीसदी प्रवासियों के हैं। राज्य में दो लाख से ज़्यादा प्रवासी वापस लौटे हैं।
गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल
देश भर में हालात इसलिए भी चिंताजनक हैं क्योंकि अब एक दिन में संक्रमण के मामले 9 हज़ार तक पहुंच गए हैं और ऐसे वक्त में लॉकडाउन के नियमों में ढील दी जा रही है। देश में कई जगहों से ऐसी तसवीरें सामने आ रही हैं, जहां बाज़ारों में, ऑटो, ई-रिक्शा में लोग उमड़ पड़े हैं। ऐसे में महानगरों से संक्रमण का गांवों तक पहुंचना ख़तरे की घंटी है क्योंकि गांवों की स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली किसी से छुपी नहीं है।
अपनी राय बतायें