केंद्र सरकार ने फ़ैसला लिया है कि कोरोना महामारी के कारण इस बार संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया जाएगा। लेकिन इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी को भेजे गए पत्र में कहा है कि सभी राजनीतिक दलों के नेता शीतकालीन सत्र को रद्द किए जाने के पक्ष में हैं और अब जनवरी, 2021 में सीधे बजट सत्र होगा। लेकिन कांग्रेस का कहना है कि उससे इस मुद्दे पर कभी कोई बातचीत नहीं की गई।
जोशी ने यह बात अधीर रंजन चौधरी के उस पत्र के जवाब में कही है, जिसमें चौधरी ने नए कृषि क़ानूनों को लेकर संसद का सत्र बुलाने की मांग की थी।
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लेकिन जोशी ने उन्हें भेजे जवाबी पत्र में कहा है कि शीतकालीन सत्र को रद्द किए जाने के मसले पर उनकी सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से बात हुई थी और सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि कोरोना महामारी के कारण शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया जाएगा।
जोशी ने लिखा है कि ठंड के दिन कोरोना के संक्रमण के लिहाज से बेहद गंभीर हैं क्योंकि इन दिनों में कोरोना के मामलों में तेज़ी से उछाल आया है।
संसदीय कार्य मंत्री ने लिखा है कि उन्होंने कई राजनीतिक दलों के नेताओं से औपचारिक रूप से संपर्क किया था और उन नेताओं ने भी कोरोना महामारी को लेकर चिंता जाहिर की थी और शीतकालीन सत्र न बुलाए जाने का विचार रखा था। जोशी ने कहा कि सरकार संसद का सत्र जल्द बुलाने पर विचार कर रही है और जनवरी, 2021 में बजट सत्र बुलाया जाना ठीक रहेगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा है कि सरकार इस मामले में सच्चाई से भाग रही है और राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद से इस मामले में कोई संपर्क नहीं किया गया।
The Leader of the Opposition in the Rajya Sabha was NOT consulted. Mr. Pralhad Joshi is as usual departing from the truth.@JoshiPralhad pic.twitter.com/5JIckD3V8p
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 15, 2020
संविधान के नियमों के मुताबिक़, संसद के दो सत्रों के बीच में छह महीने से ज़्यादा का वक़्त नहीं लगना चाहिए। इससे पहले सितंबर में संसद का मॉनसून सत्र बुलाया गया था।
मॉनसून सत्र के शुरू होने के पहले ही दिन 25 सांसदों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इनमें से 17 लोकसभा के सांसद थे जबकि 8 राज्यसभा के। सांसदों के अलावा गृह मंत्री अमित शाह भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे और उन्हें दो बार इलाज के लिए एम्स में भर्ती कराना पड़ा था।
मॉनसून सत्र के दौरान विपक्ष ने जीडीपी में गिरावट, बढ़ती बेरोज़गारी, चीन की घुसपैठ जैसे अहम विषयों को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की थी।
उर्मिला मातोंडकर ने कसा तंज
शीतकालीन सत्र न बुलाए जाने के फ़ैसले पर सिने अदाकारा रहीं और हाल ही में शिव सेना ज्वाइन करने वालीं उर्मिला मातोंडकर ने तंज कसा है। शिव सेना की ओर से विधान परिषद की सदस्य चुनी गईं उर्मिला मातोंडकर ने ट्वीट कर कहा है, ‘इस दौरान एक राज्य में चुनाव हुए और वहां बड़ी-बड़ी रैलियां हुईं। सारा देश काफी हद तक खुल चुका है सिवाय संसद के।’ उनका इशारा बिहार चुनाव की ओर है। ‘
उर्मिला ने हाल ही में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत द्वारा दिए गए ‘टू मच डेमोक्रेसी’ वाले शब्द का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार पर कृषि क़ानूनों को लेकर हमला बोला है। उर्मिला ने कहा, ‘संसद बंद है, जहां पर बिना राजनीतिक दलों से कोई बात किए क़ानून थोप दिए जाते हैं, वास्तव में ‘टू मच डेमोक्रेसी’ है।
तमाम विपक्षी राजनीतिक दल और किसान संगठन केंद्र सरकार पर यह आरोप लगा रहे हैं कि उसने नए कृषि क़ानूनों को लेकर किसानों के किसी संगठन, विपक्ष के नेताओं से किसी तरह की कोई बात तक नहीं की।
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