हरिद्वार में आयोजित हुई धर्म संसद को लेकर केंद्र सरकार की ओर से पहली बार प्रतिक्रिया आई है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि इस तरह की बातों को नजरअंदाज करना चाहिए और इन्हें महत्व नहीं दिया जाना चाहिए।
गडकरी ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा, हमें सभी धर्मों के प्रति सम्मान रखना चाहिए और किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए।
गडकरी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में दिए अपने भाषण में कहा था कि हिंदू धर्म सहिष्णुता के आधार पर है और हम विस्तारवादी नहीं हैं और सभी का भला चाहते हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम सब एक हैं, हम सब साथ मिलकर चलेंगे और सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास ही हमारा भाव है।
बुल्ली बाई ऐप को लेकर गडकरी ने कहा कि समाज में कुछ लोगों ने गलत किया है तो उसे पूरे समाज के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसी भी तरह के भेदभाव का समर्थन नहीं करती।
बता दें कि हरिद्वार में हुई धर्म संसद के अलावा दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में भी भड़काऊ बातें की गई थीं। हरिद्वार की धर्म संसद में हिंदू रक्षा सेना के प्रबोधानंद गिरी, यति नरसिंहानंद सरस्वती, पूजा शकुनि पांडे उर्फ साध्वी अन्नपूर्णा, वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण ने मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफरती भाषण दिए और नरसंहार की बातें कहीं।
हरिद्वार की धर्म संसद के वीडियो सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। बजाय इसके पुलिस ने कोई गिरफ़्तारी इस मामले में नहीं की है और सिर्फ एफआईआर दर्ज की गई है।
इस धर्म संसद और दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 76 नामी वकील भी सीजेआई एनवी रमना को चिट्ठी लिख चुके हैं। वकीलों ने मांग की है कि इस कार्यक्रम का संज्ञान लिया जाए।
दुनिया भर में तीखी प्रतिक्रिया
धर्म संसद की भड़काऊ बयानबाजी के खिलाफ सेना और नेवी के पूर्व प्रमुख अपने गुस्से का इजहार कर चुके हैं। धर्म संसद के खिलाफ दुनिया भर में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। दुनिया भर की नामचीन हस्तियों ने धर्म संसद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। विदेशी अखबारों ने भी इस घटना को प्रमुखता से रिपोर्ट किया था।
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