लखीमपुर खीरी कांड पर पहली बार केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया आई है, हालांकि प्रधानमंत्री अभी भी चुप्पी साधे हुए हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिका के बॉस्टन में कहा कि "लखीमपुर खीरी में जो कुछ हुआ, वह पूरी तरह निंदनीय है।" लेकिन उन्होंने इसके साथ ही यह भी कहा कि "देश के दूसरे हिस्सों में भी इस तरह की वारदातें होती हैं और उन्हें भी उठाया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि "जब इस तरह की वारदातें होती हैं, उन्हें उसी समय उठाया जाना चाहिए, ऐसा नहीं कि उसे तब उठाएं जब सुविधा हो।"
निर्मला सीतारमण हॉवर्ड केनेडी इंस्टीच्यूट में एक कार्यक्रम में भाग लेने गई हुई थी।
उनसे कहा गया कि प्रधानमंत्री ने अब तक इस पर कुछ नहीं कहा है, दूसरे वरिष्ठ मंत्री चुप हैं और सरकार इस पर रक्षा की मुद्रा में हैं।
वित्त मंत्री ने इसका जवाब देते हुए कहा, "नहीं, बिल्कुल नहीं। यह अच्छी बात है कि आपने एक बिल्कुल निंदनीय घटना को यहां उठाया है, हम सारे लोग यह कह रहे हैं। इस तरह की वारदात देश के दूसरे हिस्सों में भी हो रही हैं।"
अमर्त्य सेन पर कटाक्ष
उन्होंने इसके साथ ही नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय अर्थशास्त्री डॉक्टर अमर्त्य सेन का नाम भी लिया और उन पर कटाक्ष किया व हमला बोला।
वित्त मंत्री ने कहा,
“
डॉक्टर अमर्त्य सेन और दूसरे लोग जो भारत को अच्छी तरह जानते हैं, वे इस तरह की घटनाओं को तब उठाएं जब ये घटनाएं होती हैं, ऐसा न हो कि वे तब उठाएं जब यह उनके अनूकूल हों क्योंकि वहां बीजेपी शासन में है।
निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री
'रक्षा की मुद्रा में नहीं'
निर्मला सीतारमण ने इसके आगे कहा, "मेरे एक कैबिनेट सहकर्मी और उनका बेटा संकट में हैं और लोगों ने यह मान लिया है कि उन्होंने यह किया और किसी और ने नहीं किया है। न्यायिक पद्धति के तहत इसकी पूरी जाँच होनी चाहिए।"
वित्त मंत्री ने इसके आगे कहा, "मैं अपनी सरकार या प्रधानमंत्री को लेकर रक्षा की मुद्रा में नहीं हूं, मैं भारत को लेकर रक्षा की मुद्रा में हूं। मैं भारत की बात करूंगी।"
कृषि क़ानून
मोदी सरकार की इस वरिष्ठ मंत्री ने कृषि क़ानूनों की भी चर्चा की और उन्हें उचित ठहराया। उन्होंने कहा कि जब ये विधेयक लोकसभा में रखे गए थे तो उन पर विस्तार से चर्चा हुई थी और कृषि मंत्री ने तमाम बातों का जवाब दिया था। लेकिन जब ये राज्यसभा में पेश किए गए तो बहुत ही विरोध और शोर- शराबा हुआ था।
केंद्रीय मंत्री ने इन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ होने वाले विरोध प्रदर्शनों को भी कम कर आँकने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि सिर्फ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही किसानों ने इस कृषि क़ानूनों का विरोध किया।
कृषि क़ानूनों का अमेरिका में हुआ था विरोध
निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि सरकार इन कृषि क़ानूनों पर किसानों से बात करने को तैयार है।
उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य का एलान समय पर किया गया और उनका भुगतान भी कर दिया गया। किसानों को यह छूट है कि वे अपनी ज़मीन पर चाहें जो उपजाएं।
कृषि मंत्री ये बातें अमेरिका में कह रही थीं जहां तक इन क़ानूनों की गूंज पहुँची थी और उनका विरोध भी हुआ था। अमेरिकी कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने इस पर चिंता जताई थी, उसके विदेश विभाग ने दिल्ली के नज़दीक किसानों पर हुई पुलिस कार्रवाइयों पर चिंता जताई थी। अमेरिकी पॉप गायिका रियाना ने ट्वीट कर इन क़ानूनों का विरोध किया था और किसानों का समर्थन किया था।
उसी अमेरिका में भारतीय वित्त मंत्री ने सिर्फ उन क़ानूनों को उचित ठहराया, बल्कि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित एक अर्थशास्त्री पर हमला किया जबकि सेन ने लखीमपुर खीरी कांड पर अब तक कुछ कहा भी नहीं है।
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