एनआईए ने एक बार फिर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की है। सोमवार रात से शुरू हुई यह छापेमारी देश के 8 राज्यों में चल रही है और इस दौरान इस संगठन के कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है। यह छापेमारी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र आदि प्रदेशों में हुई है।
बताना होगा कि कुछ दिन पहले ही एनआईए ने 10 राज्यों में पीएफआई के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी और बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था।
यह छापेमारी उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना आदि राज्यों में हुई थी।
ताजा छापेमारी में असम के 8 जिलों से पीएफआई के 21 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। जबकि कर्नाटक में भी पीएफआई के 60 सदस्यों को हिरासत में लिया गया है।
एनआईए इन सभी को स्थानीय तहसीलदार के सामने पेश करेगी और उनकी न्यायिक हिरासत मांगेगी। बताना होगा कि एनआईए के द्वारा की जा रही ताबड़तोड़ छापेमारी के विरोध में पीएफआई के सदस्यों ने बीते दिनों केरल में हड़ताल की थी और तमिलनाडु में भी कई जगहों पर जोरदार प्रदर्शन किया था।
कर्नाटक में बेंगलुरु, बीदर, कोलार, चित्रदुर्गा, चामराजनगर आदि जगहों से पीएफआई के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है जबकि महाराष्ट्र के पुणे में पीएफआई के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
दिल्ली-यूपी में कार्रवाई
इंडिया टुडे के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर के सयाना, सरूरपुर और मेरठ के लिसाड़ी गेट इलाकों में सोमवार रात से ही पीएफआई की कार्रवाई चल रही है। मेरठ, बुलंदशहर और सीतापुर से बड़ी संख्या में पीएफआई से जुड़े संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया गया है। इसके अलावा दिल्ली में शाहीन बाग और जामिया इलाके में भी सोमवार रात से पीएफआई के सदस्यों के खिलाफ जांच एजेंसी कार्रवाई कर रही है। यहां से 12 लोगों को हिरासत में लिया गया है। यहां दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और स्थानीय पुलिस भी एनआईए के साथ इस कार्रवाई में शामिल है।
कुछ दिन पहले एनआईए ने जब छापेमारी की थी तो पीएफआई के 100 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था। एनआईए ने पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमए सलाम को भी गिरफ्तार कर लिया गया था।
पीएफआई ने छापेमारी पर कहा था कि यह फासीवादी सरकार द्वारा एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर असहमति की आवाज को दबाने की कोशिश है।
बैन लगाएगी सरकार?
बीते दिनों में जिस तरह एनआईए ने पीएफआई के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की है उससे यह कहा जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय पीएफआई पर जल्द ही बैन लगा सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े राष्ट्रीय मुस्लिम मंच ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह इस संगठन पर जल्द से जल्द प्रतिबंध लगाए।
केरल के लगभग सभी जिलों में पीएफआई की जबरदस्त मौजूदगी है और वहां इस संगठन पर हत्या करने, दंगा करने और आतंकी संगठनों से तार जुड़े होने के आरोप लगते रहे हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, साल 2012 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली केरल सरकार ने हाई कोर्ट से कहा था कि पीएफआई प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी का ही एक नया रूप है। राज्य सरकार ने अदालत को सौंपे गए हलफनामे में कहा था कि पीएफआई के कार्यकर्ता हत्या के 27 मामलों में शामिल रहे हैं और इनमें से अधिकतर मामले सीपीएम और आरएसएस के कार्यकर्ताओं की हत्या के हैं।
इसके 2 साल बाद राज्य सरकार के द्वारा हाई कोर्ट को सौंपे गए एक और हलफनामे में कहा गया था कि पीएफआई का एजेंडा धर्मांतरण व मुद्दों का सांप्रदायीकरण करके समाज का इस्लामीकरण करना है।
पिछले कुछ दिनों में एनआईए ने पीएफआई से जुड़े लोगों के खिलाफ दर्जन भर से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए हैं।
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