नए संसद भवन को लेकर विवाद के बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने गुरुवार को पीएम मोदी और केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए संसद भवन का उद्घाटन करने के उनके "संवैधानिक विशेषाधिकार" से वंचित करने के लिए केंद्र की आलोचना की। बहरहाल, 17 दलों ने उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेने का फैसला भी किया है, जबकि विपक्ष की 19 पार्टियों ने बहिष्कार की घोषणा की है। कार्यक्रम के समर्थन में बीजेडी, टीडीपी, वाईएसआरपीसी आदि प्रमुख हैं। इनके अलावा एनडीए में शामिल छोटे-छोटे दल हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक 28 मई को भवन का उद्घाटन करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए रमेश ने ट्वीट किया: "यह एक आदमी का अहंकार और आत्म-प्रचार की इच्छा है जिसने पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को नए संसद भवन के उद्घाटन के संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है।
उनकी यह टिप्पणी 19 से अधिक विपक्षी दलों द्वारा एकजुट होकर यह घोषणा करने के बाद आई है कि वे उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कर रहे हैं। विपक्ष ने संवैधानिक आधार पर तर्क दिया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भवन का उद्घाटन नहीं करवाना संवैधानिक मूल्यों का अपमान है।
इस बीच, भाजपा ने विपक्षी दलों पर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है। एनडीए खेमे की 17 पार्टियों ने उद्घाटन समारोह में शामिल होने की घोषणा की है। लेकिन ये छोटी-छोटी पार्टियां ज्यादातर पूर्वोत्तर (नॉर्थ ईस्ट) से हैं।
बहरहाल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राष्ट्रपति को कार्यक्रम में नहीं बुलाने पर सख्त आपत्ति जताते हुए इस मामले को उठाया था। उसके बाद खड़गे भी मैदान में उतरे। खड़गे ने हाल ही में याद दिलाया था कि नई संसद के शिलान्यास समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति कोविंद को आमंत्रित नहीं किया गया था। और अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया जा रहा है।
खड़गे ने कहा था कि "वो (राष्ट्रपति) अकेले ही सरकार, विपक्ष और हर नागरिक का समान रूप से प्रतिनिधित्व करती हैं। वह भारत की पहली नागरिक हैं। उनके द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक होता।"
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