लोकसभा में तीन आपराधिक न्याय विधेयकों को पास होने के बाद अब राज्यसभा में पेश किया जाना है। माना जा रहा है कि ये इस सदन में भी पास हो ही जाएंगे। बुधवार को लोकसभा द्वारा पारित किए गए तीन विधेयकों का उद्देश्य औपनिवेशिक युग के कानूनों को बदलकर देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन करना है। जानिए, इनमें प्रमुख बदलाव क्या किए गए हैं-
- मॉब लिंचिंग में अपराध की गंभीरता के आधार पर मौत की सज़ा तक हो सकती है। नाबालिग से बलात्कार के लिए अधिकतम सजा मृत्युदंड हो सकती है।
- राजद्रोह की धारा, 124(क) को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। इसकी जगह एक ऐसी धारा जोड़ी गई है जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को अपराध मानती है। नए प्रावधान में अधिकतम सजा सात साल होगी।
- एफ़आईआर दर्ज करने की समयसीमा तय कर दी गई है। अब शिकायत करने पर 3 दिन या अधिकतम 14 दिनों के अंदर एफ़आईआर दर्ज करनी होगी।
- 3 से 7 साल तक की सजा के मामलों में 14 दिनों के अंदर प्रारंभिक जांच पूरी करनी होगी। यानी अधिकतम 14 दिन या छोटी सजा के मामलों में 3 दिन में एफआईआर दर्ज करनी होगी।
- जाँच रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट को सौंपने के बाद 24 घंटे के अंदर कोर्ट से सामने पेश करना होगा। मेडिकल रिपोर्ट 7 दिन के अंदर थाने/कोर्ट में सीधे भेजने का प्रावधान है। चार्जशीट अब 180 दिन के बाद पेंडिंग नहीं रखा जा सकता।
- अब 90 दिन के अंदर वो कोर्ट के सामने नहीं आते हैं तो उनकी अनुपस्थिति में ट्रायल होगा।
- नए विधेयक में व्यभिचार और समलैंगिक यौन संबंध को अपराध के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया गया है।
- आत्महत्या का प्रयास करना अब आपराधिक अपराध नहीं माना जाएगा।
- आतंकवादी गतिविधि के दायरे को बढ़ाया गया है। नए विधेयक में अब भारत की रक्षा के लिए किसी दूसरे देश में क्षति या विनाश को भी इसमें शामिल किया गया है। पहले, यह भारत के भीतर सरकारी, सार्वजनिक या निजी सुविधाओं को नुकसान तक सीमित था।
- आतंकी प्रावधान में अब सरकार को किसी भी गतिविधि को करने या करने से रोकने के लिए किसी व्यक्ति को पकड़ना या अपहरण करना भी शामिल होगा।
- भारतीय न्याय संहिता में बीस नए अपराध शामिल किए गए हैं। इनमें संगठित अपराध, आतंकवादी घटना, हिट-एंड-रन, मॉब लिंचिंग, धोखे से किसी महिला का यौन शोषण, छीनैती, भारत के बाहर उकसाना, भारत की संप्रभुता, अखंडता और एकता को ख़तरे में डालने वाले कार्य और गलत या फर्जी समाचार का प्रकाशन शामिल हैं।
- पहली बार सरकार ने 5,000 रुपये से कम की चोरी और पाँच अन्य छोटे अपराधों के लिए सजा के रूप में 'सामुदायिक सेवा' को शामिल किया है।
- ट्रांसजेंडर को 'लिंग की परिभाषा' में शामिल किया गया है।
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