सरकार ने 1992-85 बैच के 12 आईपीएस अफ़सरों की एक शॉर्टलिस्ट बनाई थी, उसमें राकेश अस्थाना भी शामिल हैं। सरकार की मंशा साफ़ है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभी फ़ाइलों के अध्ययन के लिए और समय माँगा।
वाई.सी.मोदी सबसे मजबूत दावेदार
अगली बैठक में एनआईए के महानिदेशक वाई.सी. मोदी, मुंबई पुलिस कमिश्नर सुबोध जायसवाल और गुजरात के डीजीपी शिवानंद झा के नाम पर चर्चा होगी। इसके अलावा सीबीआई निदेशक की दौड़ में बीएसएफ़ महानिदेशक रजनीकांत मिश्रा और सीआईएसएफ़ महानिदेशक राजेश रंजन भी शामिल हैं। झा 2021 में रिटायर हो जाएँगे। पर्यवेक्षकों का कहना है कि उनके रिटायर होने के बाद सरकार राकेश अस्थाना को एक बार फिर इस पद पर लाने की कोशिश कर सकती है। लेकिन वाई. सी. मोदी को सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। इसकी वजह यह है कि वे सीबीआई में लंबे समय तक काम कर चुके हैं और गुजरात दंगोें की जाँच के लिए बनी विशेष टीम में थे। इसके आलावा वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नज़दीक समझे जाते हैं। आरके मिश्रा की भी दावेदारी मजबूत मानी जाती है क्योंकि वह प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव निपेंदर मिश्रा के नज़दीक समझे जाते हैं।वर्मा ने कहा था कि उन्होंने संस्थान की विश्वसनीयता बचाए रखने की भरपूर कोशिश की, लेकिन कुछ लोग इसे बर्बाद करने पर तुले हुए थे। केंद्र सरकार ने वर्मा की जगह नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया था।
गुरुवार को सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव की नियुक्ति के ख़िलाफ़ दायर याचिका पर सुनवाई से जस्टिस ए. के. सीकरी ने ख़ुद को अलग कर लिया था। पहले गोगोई ने इस मामले में सुनवाई से ख़ुद को अलग कर लिया था।
सीबीआई में तब ख़ासा हंगामा हुआ था जब जस्टिस ए. के. पटनायक ने कहा था कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने जो रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी, उससे वह सहमत नहीं थे। कांग्रेस ने यह आरोप लगाया था कि सीबीआई निदेशक ने जब रफ़ाल सौदे की फ़ाइल मँगाई तो उन्हें पद से हटा दिया गया था।
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