आखिरकार साढ़े 4 महीने बाद मेडिकल कॉलेजों में दाखिले का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिए एक अहम फैसले में NEET PG की काउंसलिंग को हरी झंडी दिखा दी। कोर्ट के फैसले के बाद ओबीसी वर्ग को 27 फ़ीसदी जबकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस को इस साल 10 फ़ीसदी का आरक्षण मिल सकेगा। ईडब्ल्यूएस वर्ग के छात्रों के लिए आय सीमा का मापदंड 8 लाख रुपये ही रहेगा।
अदालत के इस फैसले से 45 हजार से ज्यादा जूनियर डॉक्टर्स को राहत मिली है। बता दें कि जूनियर डॉक्टर्स ने इस मामले में दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन किया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने कहा कि हमें देश के हित में NEET PG की काउंसलिंग को शुरू कर देना चाहिए। अदालत ने इससे पहले भी इस बात को कहा था।
बेंच ने कहा कि 8 लाख रुपये की आय का जो मापदंड है, इसे 5 मार्च को होने वाली सुनवाई में फिर से सुना जाएगा।
NEET PG के जरिये देशभर के 100 से ज्यादा मेडिकल कॉलेजों में छात्रों को दाखिला मिलता है। इसके लिए काउंसलिंग पिछले साल अक्टूबर में ही शुरू हो गई थी लेकिन ओबीसी को मिलने वाले 27 फ़ीसदी आरक्षण और ईडब्ल्यूएस के छात्रों को मिलने वाले 10 फ़ीसदी के आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
गुरुवार को देश की शीर्ष अदालत ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अदालत ने इस मामले में हुई सुनवाईयों के दौरान तमाम याचिकाकर्ताओं की दलीलों को सुना था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि ईडब्ल्यूएस को आरक्षण के लिए अधिकतम आय की सीमा को 8 लाख रुपये कैसे तय किया गया है और इसके लिए क्या तरीका अपनाया गया था।
अदालत ने कहा था, ओबीसी कोटे के लिए भी निर्धारित सीमा 8 लाख रुपये थी क्योंकि इस समुदाय के लोग सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के शिकार हैं लेकिन संवैधानिक योजना के तहत ईडब्ल्यूएस सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा हुआ नहीं है। इसलिए, दोनों के लिए एक समान योजना बनाकर आप असमान को समान रूप से देख रहे हैं।
केंद्र सरकार ने 8 लाख रुपये की आय सीमा के मापदंड की वकालत करते हुए कहा था कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के मुताबिक ही है और इस बारे में सरकार ने बेहद सोच समझ कर ही फैसला किया है।
सुप्रीम कोर्ट में क़ानूनी पचड़े में फंसने के बाद से NEET PG की काउंसलिंग अटकी पड़ी थी।
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