कोरोना वायरस का संक्रमण जिस तेज़ी से फैल रहा है उसको देखते हुए सरकार ने ही अनुमान लगाया है कि अगले दो महीने में बहुत बड़ी संख्या में मास्क, ग्लव्स, गोगल्स जैसे पीपीई उपकरण, टेस्ट किट और वेंटिलेटर की ज़रूरत होगी। इसमें 2 करोड़ 70 लाख एन95 मास्क, स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के उपकरणों वाले एक करोड़ 50 लाख पीपीई किट, 16 लाख टेस्ट किट और 50 हज़ार वेंटिलेटर शामिल हैं। हालाँकि यह आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं दी गई है और यह ख़बर मीडिया रिपोर्टों में छन-छन कर बाहर आई है।
यह ख़बर तब आई है जब देश में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत ठीक नहीं है और ऐसे में हर रिपोर्ट में यह बात कही जा रही है कि कोरोना से लड़ने के लिए तैयारी पुख्ता की जानी चाहिए। क्योंकि यह वायरस काफ़ी ज़्यादा संक्रामक है और यह तेज़ी से फैलता है इसलिए इस वायरस से पीड़ित बीमार के इलाज करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा बड़ी चिंता की वजह है। चिंता का कारण इसलिए भी है क्योंकि उनके लिए ज़रूरी मास्क, ग्लव्स, कवरॉल जैसे सुरक्षा के उपकरणों की भारी कमी की ख़बरें आ रही हैं। कई जगहों से ऐसी ख़बर भी आई थी कि क्योंकि कवरॉल नहीं थे तो रेनकोट पहनकर इलाज किया जा रहा था। एक जगह से ख़बर आई थी कि डॉक्टर हेलमेट पहनकर इलाज कर रहे थे।
ऐसी भी ख़बरें आती रही हैं कि टेस्ट किट की भारी कमी है और इस कारण संक्रमण के संभावित मरीजों की जाँच पूरी नहीं हो पा रही है। प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस में भी तब यह बात सामने आई थी जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्होंने एक लाख किट माँगे थे, लेकिन सिर्फ़ 4 हज़ार ही दिए गए हैं। जिन मरीजों की हालत ज़्यादा बिगड़ेगी उनके लिए वेंटिलेटर काफ़ी महत्वपूर्ण होंगे, लेकिन देश में इसकी भारी कमी है। इसके लिए आलोचना की जाती रही है कि सरकार ने पहले से तैयारी नहीं की।
कोरोना वायरस के तेज़ी से फैलने और स्वास्थ्य व्यवस्था में इन्हीं खामियों के बीच इन उपकरणों की ज़रूरत बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने ख़बर दी है कि यह अनुमान अधिकार प्राप्त अधिकारियों के समूह की 3 अप्रैल की बैठक में लगाया गया है। इस समूह का नेतृत्व नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत कर रहे हैं। यह बैठक निजी क्षेत्र, एनजीओ और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से समन्वय कायम करने के संदर्भ में थी। इस अनुमान को उद्योग से जुड़े प्रतिनिधियों के साथ साझा किए गए। बैठक में फिक्की के प्रतिनिधि भी शामिल थे। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अनुमान लगाए गए इन उपकरणों की खरीद के लिए आगे की कार्यवाही की जा रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र से जुड़े उद्योग के प्रतिनिधि यह जानना चाहते थे कि अगले 6-12 महीने में इन उपकरणों की कितनी माँग रहेगी क्योंकि इसी के अनुसार वे इसको बनाने की योजना बनाएँगे और इसमें पैसे लगाएँगे।
बता दें कि सरकार ने 19 मार्च से मास्क, ग्लव्स, कवरॉल जैसे उपकरणों और 24 मार्च से वेंटिलेटर से निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। 24 मार्च को ही देश में लॉकडाउन की घोषणा की गई थी।
अधिकार प्राप्त अधिकारियों के समूह में अमिताभ कांत के अलावा अलग-अलग मंत्रालयों में सचिव, संयुक्त सचिव, उप सचिव स्तर के छह और अफ़सर शामिल हैं।
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