किसानों के आंदोलन से परेशान मोदी लगातार अपने कृषि क़ानूनों की ख़ूबियों को गिना रही है और इन्हें किसान के हित में बता रही है। लेकिन किसानों का कहना है कि ये क़ानून डेथ वारंट की तरह हैं और सरकार उन्हें आंदोलन और तेज़ करने के लिए मजबूर न करे।
किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत फ़ेल होने के बाद हालात बेहद गंभीर हो गए हैं। क्योंकि ठंड के दिनों में बड़ी संख्या में बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर मौजूद हैं और उनकी जिद है कि केंद्र सरकार इन क़ानूनों को वापस ले वरना वे यहां से नहीं जाएंंगे।
गुरूवार शाम को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कृषि क़ानूनों को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेन्स की। तोमर ने कहा कि इन कृषि क़ानूनों में किसान की ज़मीन को पूरी सुरक्षा देने का प्रबंध किया गया है।
तोमर ने कहा, ‘पंजाब की किसान यूनियनों के साथ सरकार और तमाम आला अफ़सरों ने बात की। लेकिन उनकी यही मांग है कि क़ानूनों को रद्द किया जाए।’ उन्होंने कहा, ‘सरकार ने किसानों की शंकाओं को लेकर एक प्रस्ताव बनाकर भेजा। हमने किसानों को समझाने की कोशिश की इन क़ानूनों से एपीएमसी या एमएसपी प्रभावित नहीं होता।’
कृषि मंत्री ने कहा, ‘किसानों के मन में शंका थी कि एमएसपी पर ख़रीद नहीं होगी लेकिन प्रधानमंत्री और मैंने स्वयं कहा कि एमएसपी पर ख़रीद होती रहेगी। हमारी सरकार की प्रतिबद्धता एमएसपी को लेकर बनी रहेगी और हम इसके लिए लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार हैं।’
‘बातचीत के लिए तैयार हैं’
तोमर ने कहा कि सरकार लगातार बातचीत कर रही है और किसानों द्वारा उठाए गए सवालों को लेकर सरकार की ओर से उनके पास प्रस्ताव भेजा गया है। उन्होंने कहा कि सरकार आगे भी बातचीत के लिए तैयार है। तोमर ने मोदी सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही कई योजनाओं का जिक्र भी किया।
सुनिए, किसान आंदोलन पर चर्चा-
तोमर ने कहा, ‘देश में 86 फ़ीसदी छोटे किसान हैं। छोटे किसान के पास निवेश करने कोई नहीं जाता। उसके पास इतना पैसा नहीं होता कि निवेश कर सके। वह अच्छी खेती करना चाहता है, टेक्नॉलॉजी का उपयोग करना चाहता है। इसलिए नए क़ानून बनाए गए जिससे उसे फ़ायदा मिले।’
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खारिज कर दिया था प्रस्ताव
इससे पहले बुधवार शाम को किसान नेताओं ने केंद्र सरकार की ओर से भेजा गया प्रस्ताव खारिज कर दिया था और आंदोलन तेज़ करने की बात कही थी। किसान नेताओं ने कहा था कि जियो के जितने भी प्रोडक्ट हैं, देश भर में उनका बहिष्कार किया जाएगा। 14 दिसंबर को पूरे देश में जिला मुख्यालयों का घेराव किया जाएगा। देंगे। इसके अलावा सभी राज्यों में धरने-प्रदर्शन जारी रहेंगे।
किसान नेताओं ने कहा था कि वे 12 दिसंबर तक दिल्ली-जयपुर हाईवे को जाम कर देंगे। इसके अलावा अडानी-अंबानी के प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करेंगे और बीजेपी के मंत्रियों-नेताओं का घेराव करने की बात कही थी। 12 दिसंबर को पूरे देश में एक दिन के लिए टोल प्लाजा को फ्री करने की बात भी किसान नेताओं ने कही थी।
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