कांग्रेस सदस्य ग़ुलाम नबी आज़ाद ने राज्यसभा से रिटायर होते वक़्त मंगलवार को काफी भावुक होकर कहा कि वे उन सौभाग्यशाली लोगों में से हैं, जो कभी पाकिस्तान नहीं गए और उन्हें हिन्दुस्तानी मुसलमान होने पर गौरव है।
उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि इंदिरा गांधी और संजय गांधी ने उन्हें मौका दिया और उन्हीं की वजह से वे सफल हो सके। आज़ाद ने कहा कि इसी तरह उन्हें राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी में काम करने का मौका मिला।
वाजपेयी की तारीफ
ग़ुलाम नबी आज़ाद ने पार्टी लाइन से हट कर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफ की और कहा कि उन्होंने उनसे ही सीखा कि किस तरह राजनीतिक समस्याओं का निपटारा किया जा सकता है, सत्तारू़ढ़ दल और विपक्ष दोनों को कुछ-कुछ देकर उन्हें खुश रखा जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि वाजपेयी के नेतृत्व में संसद को संभालना बहुत ही आसान काम था।
आज़ाद ने आम जनता के बीच रह काम करने को ज़रूरी बताया और कहा
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"जब तक हम लोगों के काम करते रहेंगे और उनके लिए संसद में क़ानून बनाते रहेंगे, उनका राजनेताओं पर भरोसा बना रहेगा। लेकिन यदि राजनेता आपस में ही लड़ते रहें तो जनता का भरोसा उनसे उठ जाएगा।"
ग़ुलाम नबी आज़ाद, राज्यसभा सदस्य
सांप्रदायिकता पर तंज
ग़ुलाम नबी आज़ाद ने बीजेपी का नाम लिए बग़ैर सांप्रदायकिता की राजनीति करने वालों पर तंज किया। उन्होंने कहा कि उन्हें सांप्रदायिक आधार पर किसी पार्टी या राजनीतिक कार्यकर्ता के साथ काम करने में शर्म आएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यसभा में ग़ुलाम नबी आज़ाद को विदाई देते हुए बहुत भावुक हो उठे। उन्होंने कहा कि ग़ुलाम नबी आज़ाद उनके निजी मित्र हैं और उन्हें हमेशा याद आते रहेंगे।
मोदी ने कहा कि जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले में कुछ गुजराती फंस गए तो आज़ाद ने जिस तरह उनकी मदद की, वह कभी भूल नहीं सकते। प्रधानमंत्री ने कहा, "ग़ुलाम नबी आज़ाद इतने चिंतित थे, मानो वे लोग उनके अपने रिश्तेदार हों।"
राज्यसभा से रिटायर क्यों?
बता दें कि ग़ुलाम नबी आज़ाद को इस बार पार्टी ने कहीं से राज्यसभा का टिकट नहीं दिया। हालांकि उसके पास बहुत ही कम विकल्प पहले से ही थे, लेकिन आज़ाद की वरिष्ठता और राज्यसभा में उनके कामकाज को देखते हुए लोगों को लगता था कि कांग्रेस किसी तरह उन्हें एक बार फिर राज्यसभा ले आएगी। पर ऐसा न हो सका।
याद दिला दें कि अगस्त महीने में जिन 23 लोगों ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिख कर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर सवाल उठाए थे, उनमें ग़ुलाम नबी आज़ाद भी थे। बाद में पार्टी के कई लोगों ने उन पर हमला किया था और बीजेपी के साथ मिल कर साजिश रचने का आरोप लगाया था। लेकिन बाद में सोनिया गांधी ने आज़ाद और दूसरे नेताओं को कार्यकारिणी समिति की बैठक में बुलाया था। संसद में बहस हुई तो राज्यसभा में इसकी शुरुआत आज़ाद ने ही की थी।
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