तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना मुहम्मद साद कंधलवी के कथित ऑडियो पर रहस्य गहराता जा रहा है। उनका आडियो फ़ेक न्यूज़ है, उसके साथ छेड़छाड़ की गयी है या वो असली है, यह कैसे पता चले? यह कैसे पता चले कि इस आडियो को किसी दूसरे ऑडियो के साथ छेड़छाड़ कर तैयार किया गया है, या नहीं?
रहस्य गहराने का कारण है, गृह मंत्रालय के एक थिंकटैंक की फ़ेक न्यूज का पता लगाने और उसकी जाँच करने के लिए तैयार की गयी रिपोर्ट। इस रिपोर्ट में तबलीग़ी जमात के प्रमुख के कथित ऑडियो का भी जिक्र है। इस रिपोर्ट को ब्यूरो ऑफ़ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीडीआर एंड डी) की वेबसाइट पर अपलोड भी कर दिया गया। पर बाद में उसे वहाँ से हटा लिया गया।
क्या है ऑडियो में?
बीपीआर एंड डी की यह रिपोर्ट 40 पेज की है। इसमें फ़ेक न्यूज का पता लगाने और उसकी जाँच करने से जुड़े दिशा निर्देश भी है।
तबलीगी ज़मात के इस ऑडियो में मौलाना साद कथित रूप से यह कहते हुए सुने जा सकते हैं कि किस तरह मुसलमानों को सोशल डिस्टैंसिंग का पालन नहीं करना चाहिए और धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होना चाहिए।
क्या है रिपोर्ट में?
इसके पहले इंडियन एक्सप्रेस ने एक ख़बर में कहा था कि दिल्ली पुलिस ने इस ऑडियो की जाँच की और पाया किया दूसरे 20 ऑडियो के क्लिपिंग को जोड़ कर और एडिट कर तैयार किया हुआ ऑडियो है। लेकिन बाद में दिल्ली पुलिस ने इससे साफ़ इनकार कर दिया और अख़बार के रिपोर्टर को तलब किया। इसके बाद बीपीआर एंड डी ने फ़ेक न्यूज़ पर जो रिपोर्ट तैयार की, उसमें भी मौलाना साद का ऑडियो क्लिप शामिल है, यानी रिपोर्ट से ये लगता है कि वह उसे भी फ़ेक न्यूज मानती है।
बीपीआर एंड डी की रिपोर्ट के पैरा 5 में कहा गया है : फ़ेक/वायरल ऑडियो : मौजूदा स्थिति में फ़ेक/वायरल बनाने वाले आवाज़ का कंटेंट तैयार कर सकते हैं और उसे सोशल नेटवर्किेंग चैनल के ज़रिए फैला सकते हैं। इसके बाद इसमें लिखा गया है...टी…..जमा….कोविड 19 पर लीक हुआ ऑडियो।
फ़ेक न्यूज़?
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस तरह के फ़ेक न्यूज़ की जाँच कैसे की जाए। इसमें एक ऐसे वीडियो को भी शामिल किया गया है जिसमें यह दिख रहा है कि कुछ लोग मुसलमान का वेश बनाए हुए हैं और लोगों से कह रहे हैं कि वे सोशल डिस्टैंसिंग का पालन न करें।बीपीआर एंड डी ने सरकारी एजेंसियों से यह भी कहा है कि वे इस तरह के कंटेंट से सावधान रहें।
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