पीड़ित युवक का नाम मोहम्मद ताज है और उसकी उम्र 18 साल है। ख़बर के मुताबिक़, ताज से कुछ लोगों ने ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए कहा और मना करने पर उसके साथ मारपीट की गई। बता दें कि झारखंड में भीड़ के द्वारा कई घंटे तक पीटे जाने के बाद हुई तबरेज़ अंसारी की मौत को लेकर देश भर में लोग सड़कों पर हैं। लोग तबरेज़ को इंसाफ़ दिलाने की और दोषियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की माँग कर रहे हैं।
पीड़ित के पिता मोहम्मद लुकमान ने अंग्रेजी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मेरा बेटा मोहम्मद ताज शुक्रवार शाम को अपनी बाइक से उस्मानपुर इलाक़े के एक मदरसे से लौट रहा था। तभी उसे बाइक पर सवार चार-पाँच लोगों ने बर्रा-2 की बाज़ार में उसका रास्ता रोक लिया। पहले उन्होंने उसकी छोटी टोपी (धार्मिक टोपी) को फेंक दिया और फिर उससे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को कहा। जब मेरे बेटे ने ऐसा करने से इनकार किया तो उन्होंने उसे गालियाँ दीं और उसके साथ मारपीट की। उन्होंने उसका चश्मा भी तोड़ दिया।’
कानपुर (दक्षिण) की एएसपी रवीना त्यागी ने घटना के बारे में अख़बार को बताया, ‘आईपीसी की धारा 153ए और 323 के तहत अज्ञात हमलावरों के ख़िलाफ़ धर्म के आधार पर द्वेष फैलाने का मामला दर्ज कर लिया गया है और हमलावरों की तलाश की जा रही है। हम उस इलाक़े में लगे सीसीटीवी कैमरों की फ़ुटेज को खंगाल रहे हैं और उस दौरान वहाँ मौजूद लोगों से भी पूछताछ कर रहे हैं।’बर्रा पुलिस स्टेशन के एसएचओ सतीश कुमार सिंह ने कहा, ‘यह आपसी कहासुनी की घटना थी। ताज़ बाइक चलाते वक़्त कुछ लोगों से आगे निकल गया और इसी को लेकर उसकी उन लोगों से कहासुनी हो गई।’
मुसलमानों के साथ इस तरह की घटनाएँ होना अब आम बात हो गई है। आए दिन ऐसी घटनाएँ सुनने को मिल रही हैं जब मुसलमानों को ‘जय श्री राम’ और ‘वंदे मातरम’ बोलने के लिए मजबूर किया जा रहा है और ऐसा न करने पर उनके साथ मारपीट की जा रही है।
तबरेज़ अंसारी की पिटाई वाले वायरल वीडियो में भी यह देखा गया कि भीड़ उसे बुरी तरह पीटने के साथ ही ‘जय श्री राम’ और ‘जय हनुमान’ का नारा लगाने के लिए कह रही है।
सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों के भीतर क़ानून का ख़ौफ़ पूरी तरह ख़त्म हो गया है या उनके ख़िलाफ़ कोई सख़्त कार्रवाई न होने के कारण ही वे ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
आख़िर ऐसी घटनाएँ बढ़ रही हैं तो इसके पीछे कुछ शातिर और बददिमाग किस्म के लोग ज़रूर होंगे जो सोशल मीडिया से लेकर गली-मोहल्लों में दिन-रात मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत का माहौल बनाने में जुटे हैं और ऐसी घटनाएँ तब और ज़्यादा हो रही हैं जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने की बात कही है।
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