Took blessings of Dr. Sri Shivamurthy Murugha Sharanaru swamiji on my visit to Sri Murugha Mutt in Chitradurga. The Swamiji's contribution towards removal of inequality, poverty and helping the farmers & workers in implementing developmental projects is unparalleled. pic.twitter.com/lv7jf8jQg6
— Amit Shah (@AmitShah) March 27, 2018
संत शिवमूर्ति की राजनीति
कहने को तो मुरुगा स्वामी शिवमूर्ति शरणारु एक धार्मिक संत हैं। लेकिन इस शख्स की जिन्दगी पर रोशनी डाली गई तो हैरान करने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। कर्नाटक से बाहर कम लोगों को मालूम है कि इस मुरुगा स्वामी ने सिर्फ राजनीतिक इस्तेमाल के लिए छोटे जाति समूहों और खासकर अछूतों को संगठित करने का कारनामा कर दिखाया। यही वजह है इनके मठ में दलित और ओबीसी समुदाय के लड़के-लड़कियों की तादाद ज्यादा है। दरअसल, प्रभावशाली लिंगायत मठों और संतों के ब्राह्मणवादी रवैए की वजह से स्वामी शिवमूर्ति ने हाशिए पर पड़े समूहों को अपने खुद के धार्मिक मठ से जोड़ा और उन अछूत जाति समूहों के मठ स्थापित करा दिए। इन मठों के तहत, राज्य की पिछड़ी और शोषित जातियाँ एकजुट समूह बन गईं। लेकिन स्वामी शिवमूर्ति ने इन पिछड़ी और शोषित जातियों का इस्तेमाल जमकर किया।एक और घटना से समझिएः स्वामी शिवमूर्ति ने मौजूदा विपक्षी नेता सिद्धारमैया का समर्थन उस समय किया था, जब उन्होंने जेडीएस छोड़ने का फैसला किया और कर्नाटक में 'अहिंडा' आंदोलन शुरू किया। स्वामी शिवमूर्ति ने सार्वजनिक रूप से सिद्धारमैया के अहिंडा आंदोलन का समर्थन किया। इस आंदोलन की लोकप्रियता की वजह से कांग्रेस सिद्धारमैया को अपनी पार्टी में लाई। पिछड़ों और दलितों के वोट कांग्रेस के पाले में आ गए। उसके बाद जब चुनाव हुए तो कांग्रेस जीती और सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने। सिद्धारमैया इस एहसान को आजतक नहीं भूले और वो इस बाबा के सामने हमेशा नतमस्तक रहते हैं।
दो ताजा घटनाएं
इसी साल 10 जनवरी के आसपास जब कोविड की तीसरी लहर चल रही थी तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने मेकेदातु परियोजन शुरू करने की मांग को लेकर पदयात्रा शुरू की तो स्वामी शिवमूर्ति कनकपुर में उस पदयात्रा में शामिल हुए और शिवकुमार को आशीर्वाद दिया। स्वामी ने यह कदम बीजेपी के विरोध के बावजूद उठाया।अभी 3 अगस्त को कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस लिंगायत मठ में पहुंचे और अपना जनेऊ उतार दिया। राहुल गांधी को स्वामी शिवमूर्ति मुरुगा शरणारु ने ईष्टलिंग की दीक्षा दी। उन्होंने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद भी दिया। यहां यह तथ्य बता देना जरूरी है कि राहुल गांधी इस मठ में तभी गए जब स्वामी शिवमूर्ति ने उनसे सार्वजनिक रूप से मिलना स्वीकार किया। इस मुलाकात में शिवकुमार की खास भूमिका थी।
दूसरी ओर, बीजेपी का स्टैंड है जिसने शिवमूर्ति के खिलाफ पोक्सो मामला एक साजिश बताया। पूर्व सीएम बीएस यदियुरुप्पा ने सार्वजनिक बयान देकर इस बाबा की तारीफ की। यदियुरुप्पा ने कहा कि स्वामी जी के खिलाफ साजिश हुई है। वो बेदाग होकर आएंगे। पूरे कर्नाटक में उनकी इज्जत है। मुख्यमंत्री बी आर बोम्मई के जुबान से कोई शब्द नहीं निकला।
किसकी हिम्मत है बोलने की
इस मामले में बीजेपी तो बंटी हुई है लेकिन दूसरी तरफ कांग्रेस नेताओं की चुप्पी भी कम खेदजनक नहीं है। कर्नाटक में विपक्षी कांग्रेस, जो हर मौके पर सत्तारूढ़ बीजेपी पर निशाना साधती रही है, वो इस बाबा को सदाचार का सर्टिफिकेट बांट रही है। विपक्ष के नेता सिद्धारमैया, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, उनके बेटे, कांग्रेस विधायक और मीडिया मामलों के प्रभारी प्रियांक खड़गे, विधान परिषद में विपक्ष के नेता बी के हरिप्रसाद ने इस मुद्दे पर एक शब्द भी नहीं बोला। बल्कि शिवकुमार ने तो इस घटना के बावजूद स्वामी शिवमूर्ति की तारीफ की।मठ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ऐतिहासिक रूप से, मुरुगा मठ ने तीन शताब्दियों तक खुद को सांस्कृतिक, सामाजिक, शैक्षणिक और सामाजिक गतिविधियों में शामिल किया है। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार मठ की स्थापना 1703 ई. में हुई थी। मठ ने चित्रदुर्ग किले के शासकों का मार्गदर्शन किया है। यानी यह सत्तारूढ़ लोगों के साथ हमेशा खड़ा रहा है।मठ के सूत्रों का दावा है कि मौजूदा सेक्स स्कैंडल कैश-रिच और प्रभावशाली मठ के मामलों के प्रबंधन के लिए आंतरिक संघर्ष का परिणाम है। जिस समूह ने शिवमूर्ति के खिलाफ मुंह खोला है, उनके पास काफी सबूत हैं। यहां तक वीडियो सबूत होने तक का दावा किया जा रहा है।
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