मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमलों के दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की मंजूरी यूएस सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को दे दी। भारत लंबे समय से पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था। वो मुंबई आतंकवादी हमलों में वांछित है। राणा ने भारत में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन यूएस सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को उसकी याचिका खारिज कर दी।
राणा पर 26/11 के मुंबई हमले की साजिश रचने का आरोप लगा था। उसे पाकिस्तानी-अमेरिकी लश्कर-ए-तैबा (एलईटी) के आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली से जुड़ा माना जाता है। हेडली भी 2008 हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। मुंबई आतंकी हमलों में छह अमेरिकियों सहित कुल 166 लोग मारे गए थे, जिसमें 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 60 घंटे से अधिक समय तक घेराबंदी की थी। आतंकियों ने मुंबई में प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण स्थानों पर हमला किया था।
तहव्वुर हुसैन राणा पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर था। जो बाद में कनाडा चला गया। वहां वो इमीग्रेशन सेवा विशेषज्ञ बन गया और इसी का कारोबार करने लगा। उसने शिकागो और अन्य शहरों में दफ्तरों के साथ फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज नामक फर्म चलाईं।
करीब 64 साल का राणा इस समय लॉस एंजिल्स की जेल में बंद है। वह मुंबई आतंकवादी हमलों से संबंधित कई आपराधिक आरोपों में दोषी करार दिया जा चुका है।
राणा-हेडली कनेक्शन
मुंबई हमलों में प्रमुख साजिशकर्ता डेविड हेडली का भी नाम आया था। डेविड कोलमैन हेडली को 'दाउद गिलानी' के नाम से भी जाना जाता है। तहव्वुर राणा ने पाकिस्तान में हेडली और अन्य लोगों की सहायता की। वहीं पर मुंबई हमलों को अंजाम देने की योजना तैयार हुई। इसमें आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैबा ने भी हिस्सा लिया। राणा और हेडली दोनों ने मुंबई आतंकी हमले से पहले के दिनों में न्यूयॉर्क से पाकिस्तान और दुबई से पाकिस्तान तक एकसाथ कई बार यात्रा की थी।
पाकिस्तान से आये 10 आतंकवादियों ने 2008 में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ताज महल होटल, नरीमन हाउस और कामा और अल्बलेस अस्पताल सहित मुंबई के कई प्रतिष्ठित स्थानों पर 60 घंटे से अधिक समय तक घेराबंदी की थी। घंटों चले ऑपरेशन के दौरान एनएसजी और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने नौ आतंकवादियों को मार गिराया, जबकि एक अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया।
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