कथित गोरक्षक मोनू मानेसर को हरियाणा पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया। एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इंडिया टुडे को बताया कि हरियाणा पुलिस उसे जल्द ही राजस्थान पुलिस को सौंप देगी। इंडिया टुडे ने एक सीसीटीवी वीडियो एक्सेस किया है, जिसमें मोनू मानेसर हरियाणा पुलिस के सादे कपड़ों वाले पुलिसकर्मियों से घिरा हुआ है। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट में उसे हिरासत में लेना बताया गया है।
फरवरी में भिवानी जिले के लोहारू के गांव में राजस्थान के दो मुस्लिम युवकों के शव मिले थे। इनका राजस्थान से अपहरण करके हरियाणा लाया गया, जहां उनकी बोलेरो गाड़ी में उन्हें जिन्दा जला दिया गया। दोनों युवकों के परिवारों की शिकायत पर राजस्थान पुलिस ने मोनू मानेसर व अन्य के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया था। मोनू मानेसर खुद को बजरंग दल का कार्यकर्ता भी बताता है।
इस मामले में राजस्थान पुलिस ने चार्जशीट कोर्ट में पेश कर रखी है, जिसमें मोनू मानेसर को मुख्य आरोपी बनाया गया है। वो घटना के बाद से ही फरार हो गया था। चार्जशीट के मुताबिक राजस्थान के भरतपुर जिले के घाटमीका गांव के रहने वाले नासिर और जुनैद का कथित तौर पर 15 फरवरी को गोरक्षकों ने अपहरण कर लिया था और अगले दिन उनके शव हरियाणा के भिवानी के लोहारू में एक जली हुई कार में पाए गए थे।
नूंह हिंसा पर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने 2 अगस्त को दिल्ली में मीडिया से कहा था कि हरियाणा को मोनू मानेसर के बारे में कोई जानकारी नहीं है1 उसके खिलाफ मामला राजस्थान सरकार ने दायर किया है। मैंने राजस्थान सरकार से कहा है कि अगर उन्हें उसका पता लगाने के लिए मदद की ज़रूरत है, तो हम मदद करने के लिए तैयार हैं। अब राजस्थान पुलिस उसकी तलाश कर रही है। हमारे पास उसके ठिकाने के बारे में कोई इनपुट नहीं है। उनके पास होगा या नहीं, कैसे कर सकते हैं?
मुख्यमंत्री खट्टर के इस बयान के दौरान मोनू मानेसर सोशल मीडिया पर सक्रिय था और मेवात के लोगों को चुनौती दे रहा था। उसने वीएचपी और बजरंग दल की नूंह में जलाभिषेक यात्रा से दो दिन पहले एक वीडियो जारी करके कहा था कि धार्मिक यात्रा नूंह में आएगी और वो भी उसमें होगा। इसमें आपत्तिजनक बातें कही गई थीं। इससे मेवात के लोग नाराज थे। इसी धार्मिक यात्रा के दौरान व्यापक हिंसा हुई थी, जो गुड़गांव, फरीदाबाद और पलवल तक फैली। इन घटनाओं में 7 लोग मारे गए थे और 200 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए।
कौन है मोनू मानेसरः मोनू मानेसर बजरंग दल का सदस्य और गुड़गांव में हरियाणा सरकार की गाय संरक्षण टास्क फोर्स का चेहरा था। उसका असली नाम मोहित यादव है, लेकिन उसे मोनू मानेसर के नाम से भी जाना जाता है। उसका नाम तब बड़े पैमाने पर सामने आया था।
फरवरी महीने में नासिर व जुनैद के मामले से कुछ दिनों पहले हरियाणा के नूंह के तावड़ू में एक अन्य पुलिस शिकायत में मोहित और उसकी गौरक्षकों की टीम का नाम लिया गया था, जिसमें एक 22 वर्षीय व्यक्ति को मवेशी तस्करी के संदेह में पकड़ा गया था और बाद में पुलिस को सौंप दिया गया था। उसकी एक अस्पताल में मौत हो गई थी। पुलिस ने कहा था कि जिस कार में वह अपने दो सहयोगियों के साथ यात्रा कर रहा था, वह एक टेम्पो से टकरा गई थी और दुर्घटना में लगी चोटों के कारण उसकी मृत्यु हो गई। मोहित के सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किए गए फेसबुक लाइव का एक कथित वीडियो क्लिप वायरल होने के बाद कथित आरोपी पशु तस्कर के परिवार ने आरोप लगाया था कि उसे गोरक्षकों ने पीटा था और हमले से घायल होने के कारण उसकी मौत हो गई।
मोनू मानेसर उर्फ मोहित यादव बजरंग दल का सदस्य और गौरक्षक है। वह हरियाणा में बजरंग दल की गाय संरक्षण टास्क फोर्स इकाई, गोरक्षा दल के प्रमुख के रूप में अपनी भूमिका के लिए कुख्यात है। पानीपत, सोनीपत, गुड़गांव, रेवाडी, नूंह, पलवल, झज्जर जैसे हरियाणा के कई जिलों में फैले मुखबिरों के नेटवर्क और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के साथ टास्क फोर्स हरियाणा पुलिस के साथ काम करती है। वह अक्सर संदिग्ध मवेशियों को पकड़ती है और तस्करों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर देती है।
मानेसर के मूल निवासी 28 वर्षीय मोहित के पास एक पॉलिटेक्निक कॉलेज से डिप्लोमा है और वह मानेसर क्षेत्र में मज़दूरों को किराए के कमरे किराए पर देकर अपनी जीविका चलाता है। उसने खुद को 'गौरक्षक' और सामाजिक कार्यकर्ता बताया। 2011 में वह मानेसर से जिला सह-संयोजक के रूप में बजरंग दल में शामिल हुआ था। वह सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय है।
बहरहाल, मोनू मानेसर को जिस तरह हरियाणा में हिरासत में लिया गया है, उस पर भी सवाल उठ रहे हैं। जब हरियाणा में भी उसके खिलाफ एफआईआर हैं तो उसे हरियाणा में क्यों नहीं गिरफ्तार किया जा रहा है। गिरफ्तारी के बाद भी राजस्थान पुलिस को उसका ट्रांजिट रिमांड मिल जाता है। यह क्या पेच है, जल्द ही इसका खुलासा होगा।
अपनी राय बतायें