पुलवामा हमले में अपना हाथ न होने की बात कहने वाला पाकिस्तान नेशनल इन्वेस्टिगेंटिग एजेंसी (एनआईए) की चार्जशीट के बाद बेनक़ाब हो गया है। इस चार्जशीट में एनआईए ने ऐसे हैरान करने वाले खुलासे किए हैं जिन्हें पाकिस्तान चाहकर भी नहीं नकार सकता। फ़रवरी, 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले में भारत के 40 से ज़्यादा जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी और बालाकोट में चल रहे आतंकी शिविरों पर बम गिराए थे।
एनआईए ने कहा है कि पुलवामा हमले के दौरान आतंकियों और पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं के बीच कई घंटों तक बातचीत हुई। एनआईए की 13,500 पन्नों की चार्जशीट में पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और इसके आकाओं की बातचीत का पूरा ब्यौरा दिया गया है।
इनमें से एक बातचीत के दौरान जैश के मुखिया मौलाना मसूद अज़हर का भतीजा और पुलवामा हमले का मुख्य साज़िशकर्ता मोहम्मद उमर फ़ारूक़ अज़हर के भाइयों रउफ़ असगर और अम्मार अल्वी से बैंक खातों में पैसे डालने के लिए कहता है। वह कहता है कि हमले के लिए इन पैसों की ज़रूरत है।
इसके बाद पाकिस्तान के दो बैंक खातों में 10 लाख रुपये डाले गए। ये दोनों खाते उमर फ़ारूक़ के नाम पर थे। एनआईए ने कहा है कि बाद में यह पैसा अवैध तरीक़े से कश्मीर लाया गया और पुलवामा हमले में इसका इस्तेमाल हुआ। एक और बातचीत के दौरान यह पता चला है कि 5.7 लाख रुपये आईईडी बनाने में और इन्हें मारूति इको वैन में लगाने में ख़र्च हुए। यह बातचीत उर्दू जुबान में हुई है।
एनआईए ने बातचीत में रउफ़ असगर की आवाज़ को मैच करा लिया है। एनआईए ने कहा है कि मोहम्मद उमर फ़ारूक़ ने अप्रैल, 2018 में भारत में घुसपैठ की थी और वह 12 किग्रा आरडीएक्स अपने साथ लाया था। उमर फ़ारूक़ को सुरक्षा बलों ने इस साल मार्च में मार गिराया था।
एनआईए को इतने सारे सबूत मिलने के बाद भारत पाकिस्तान को पुलवामा हमले को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेर सकेगा। फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स की ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए छटपटा रहे पाकिस्तान की मुश्किलें एनआईए की इस चार्जशीट के बाद बढ़ सकती हैं।
चार्जशीट में इंशा जान का भी नाम
एनआईए की चार्जशीट में 23 साल की इंशा जान का भी नाम है। इंशा जान पुलवामा हमले को लेकर उमर फ़ारूक़ के संपर्क में थी। एनआईए ने कहा है कि इंशा जान के पिता तारिक़ पीर को भी इस बारे में जानकारी थी।
तारिक़ पीर पर आरोप है कि उसने उमर फ़ारूक़ और उसके दो सहयोगियों- समीर डार और आदिल अहमद डार को 15 से ज़्यादा जगहों पर खाने, रहने की और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराईं। ये आतंकी उनके घर पर भी रुके थे। एनआईए ने कहा है कि इंशा जान सुरक्षा बलों के मूवमेंट के बारे में उमर फ़ारूक़ को जानकारी देती थी।
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