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मोदी अब बोले- 'गलती मत कीजिए मोदी को समझने की, आपकी सात पीढ़ियों के पाप...'

पीएम मोदी ने अब विपक्षी दलों के नेताओं को सीधे चुनौती या धमकी दे दी है। जिसमें मोदी कह रहे हैं- "गलती मत कीजिए मोदी को समझने की...मोदी जिस दिन मुंह खोलेगा उस दिन सात पीढ़ियों के पाप निकाल के रख दूंगा..!" इस वीडियो को वायरल करने वाले यह नहीं बता रहे हैं कि मोदी ने यह भाषा किस जगह बोली है। लेकिन समझाता जाता है कि यह वीडियो पंजाब या बंगाल का हो सकता है। जहां पर मोदी की पिछले दो दिनों में सभाएं हुई हैं। हालांकि तीन-चार दिन पहले बिहार और झारखंड में भी उनकी भाषा तीखी थी। बिहार में ही उन्होंने पहली बार विपक्ष के मुजरा करने वाला बयान  दिया था।

मोदी की यह भाषा काफी चौंकाने वाली है। इसके अर्थ भी अलग-अलग निकाले जा रहे हैं। चूंकि यह वीडियो किसी पूरे भाषण से काट कर निकाला गया है तो यह समझ नहीं आ रहा कि मोदी किसे धमका रहे हैं। लेकिन पहली नजर में लगता है कि वो विपक्ष को धमका रहे हैं। लेकन कुछ लोगों का अनुमान है कि वो आरएसएस को धमका रहे हैं, कुछ का अनुमान है कि कारपोरेट को धमका रहा हैं। यानी जितने मुंह उतनी बातें। लेकिन मोदी किसी न किसी को तो धमका ही रहे हैं।
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हालांकि एक हफ्ता पहले मोदी ने फरमाया था कि विपक्ष में उनका कोई दुश्मन नहीं है। हाल ही में एनडीटीवी को दिए गए इंटरव्यू में मोदी ने फरमाया था कि वह विपक्ष को अपना दुश्मन नहीं मानते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह विपक्षी नेताओं के साथ मिलकर काम करने का इरादा रखते हैं। मोदी ने कहा- "मैं कभी चुनौती नहीं देता और मैं उन्हें साथ लेकर चलना चाहता हूं। मैं किसी को कम नहीं आंकता। उन्होंने 60-70 साल तक सरकार बनाई है। उन्होंने जो अच्छे काम किए, मैं उनसे सीखना चाहता हूं। मैं विपक्ष को दुश्मन नहीं मानता।" 

मोदी देश विदेश में अपने बयान के लिए विवादित होते जा रहे हैं। मसलन अभी बुधवार को उनका इंटरव्यू सामने आया, जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी के बारे में ऐसी बात कही, जिस पर देश कभी भी समहमत नहीं हे सकता। मोदी ने कहा कि रिचर्ड एडनबरो की फिल्म से गांधी की ख्याति फैली। इससे पहले कोई उन्हे जानता नहीं था। मोदी के उस इंटरव्यू को भी बीच से काट कर निकाला गया था।
यह चुनाव मोदी के भाषणों के लिए याद किया जाएागा। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी ने साम्प्रदायिक भाषण लगातार दिए हैं। कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने कई बार केंद्रीय चुनाव आयोग या ईसीआई को मोदी के भाषणों पर ज्ञापन दिया। लेकिन आय़ोग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। अलबत्ता आयोग ने भाजपा और कांग्रेस अध्यक्षों को नोटिस भेजकर पार्टी के स्टार कैंपनरों की भाषा संयमित कराने की अपील की।
मोदी ने बिहार में विपक्ष के लिए मुजरा शब्द का इस्तेमाल किया। 25 मई को पाटिलपुत्र में मोदी ने कहा कि विपक्ष लालटेन लेकर मुजरा कर रहा है। मोदी ने यहां रैली में हिन्दू-मुस्लिम कार्ड भी खेला। मोदी ने कहा- इंडिया गठबंधन वोट के लिए अपने वोट बैंक के सामने 'मुजरा' (नृत्य) भले ही कर सकता है, लेकिन वह उन्हें एससी/एसटी को दिए गए आरक्षण लाभ को छीनने नहीं देंगे। यह आरक्षण भारतीय संविधान ने एसटी/ओबीसी समुदाय को दिया है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                     

मोदी के विवादित बयान

देश में आम चुनाव 2024 की घोषणा 16 मार्च को हुई। अगर आप 16 मार्च से पहले पीएम मोदी के भाषणों को देखें तो उसकी थीम या मुद्दों का इस्तेमाल अलग था। लेकिन 16 मार्च को चुनाव की तारीख जारी होने के बाद न सिर्फ उनके मुद्दे बदलते गए, बल्कि संवाद की अदायगी भी बदल गई। कांग्रेस का चुनावी घोषणापत्र 5 अप्रैल को आया था। तब तक भाजपा का घोषणापत्र या संकल्प पत्र नहीं आया था। लेकिन मोदी ने 6 अप्रैल से सहारनपुर रैली से फिर से मुद्दों की प्राथमिकता और सुर को बदला। कैसे वो हिन्दू-मुसलमान पर उतरे, कैसे वो आरक्षण और संविधान पर सफाई देते रहे और कैसे वो इन्हीं विषयों के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताते रहे, बहुत जल्दी का मोदी के भाषणों का इतिहास है। इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने 17 मार्च से 15 मई तक मोदी के 111 भाषणों का विश्लेषण किया है। ये सारे भाषण नरेंद्रमोदी डॉट इन पर मौजूद हैं। 

17 मार्च से 10 अप्रैल तक क्या बोले मोदीः इस अवधि में दिए गए मोदी के 10 भाषण सरकारी योजनाओं, विपक्ष के कथित 'भ्रष्टाचार' पर केंद्रित रहे। 16 मार्च से ही आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गई थी। लगा की मोदी को आचार संहिता की बहुत परवाह है, इसलिए वे संयम बरत रहे हैं। इन 10 भाषणों में उन्होंने 8 बार "विश्वगुरु" का उल्लेख किया। इलेक्ट्रोरल बांड के जरिए सबसे ज्यादा चंदा पाने वाली पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में शुमार मोदी ने कांग्रेस समेत प्रमुख विपक्षी दलों पर भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, परिवारवाद पर सभी 10 भाषणों में हमले बोले। हालांकि परिवारवाद उनके अब तक हर भाषण में आया है। मोदी ने बंगाल में कांग्रेस और ममता बनर्जी के परिवारवाद हमला किया। लेकिन मोदी ने यह नहीं बताया कि किस तरह बंगाल विधानसभा में नेता विपक्ष शुवेंदु अधिकारी का पूरा परिवार भाजपा में है। उनके सबसे छोटे भाई सौमेंदु अधिकारी को भाजपा का टिकट दिया गया है। मोदी यूपी में परिवारवाद पर हमला करते समय राजनाथ सिंह और उनके विधायक बेटे को भूल गए। मोदी ने बिहार में परिवारवाद पर हमला करते समय अपने सहयोगी दल चिराग पासवान के परिवारवाद को भुला दिया।

मोदी के इन 10 भाषणों में 6 बार अयोध्या के राम मंदिर का जिक्र आया और वोट मांगे गए। इसी तरह 400 पार नारे का जिक्र 8 बार आया। मोदी की गारंटी का 7 बार हवाला दिया। 6 अप्रैल से 20 अप्रैल तक 34 भाषणों में क्या बोले मोदीः कांग्रेस का घोषणापत्र 5 अप्रैल को आया था। कांग्रेस ने इसे न्याय पत्र नाम दिया। काफी मेहनत से तैयार किए गए इस न्याय पत्र ने हलचल मचा दी। आमतौर पर जनता राजनीतिक दलों के घोषणापत्र को नहीं पढ़ती। पत्रकार भी सिर्फ स्टोरी बनाने के लिए घोषणापत्र पर नजर डालते हैं। लेकिन मोदी ने अपने भाषणों के जरिए कांग्रेस के घोषणापत्र पर बार-बार हमला करके एक तूफान खड़ा कर दिया। उन्होंने इसे मुस्लिम लीगी छाप वाला घोषणापत्र बताया। लेकिन इसका फायदा कांग्रेस को मिला। लोग उसका घोषणापत्र पढ़ने को मजबूर हुए औऱ हालात बदलते चले गए।

मोदी की इस दौर की दो रैलियां 6 अप्रैल को सहारनपुर और अजमेर में थी यानी घोषणापत्र के अगले ही दिन मुस्लिम बहुल इलाकों में मोदी को बोलना था। मोदी ने कहा कि घोषणापत्र पर "मुस्लिम लीग" की छाप है। मोदी ने अपने 34 भाषणों में से सात बार कांग्रेस के न्याय पत्र को "मुस्लिम लीगी घोषणापत्र" करार दे दिया। पीएम मोदी ने 34 भाषणों में से 17 बार विपक्ष को हिन्दू विरोधी करार दिया। हिन्दू विरोधी यानी विपक्ष मुस्लिम परस्त है।

उन्होंने इसके लिए अयोध्या में राम मंदिर के कार्यक्रम में विपक्ष के शामिल न होने की वजह का सहारा लिया। इन 34 भाषणों में से 26 बार राम और राम मंदिर का जिक्र आया। यानी उन्होंने कहना चाहा कि जो हिन्दू विरोधी है, वो स्वाभाविक तौर पर मुस्लिम परस्त है। जो अय़ोध्या नहीं गया, वो राम विरोधी और हिन्दू विरोधी है। मोदी ने अपने 34 भाषणों में सिर्फ कांग्रेस के ऊपर 27 बार भाई-भतीजावाद, परिवारवाद का आरोप लगाया। विकास, कल्याण योजनाएं और "विश्वगुरु" का जिक्र क्रमशः 32, 31 और 19 बार हुआ। "400 पार" का नारा धीमा होता गया। 34 में से कुल 13 400 पार का जिक्र हुआ। बाद में तो खैर एकदम ही कम हो गया। मोदी की गारंटी 28 बार दोहराई गई।

21 अप्रैल से 15 मई के 67 भाषणों में क्या कहाः मोदी के हिन्दू-मुसलमान वाले भाषण इस दौर में सबसे ज्यादा हुए। हालांकि इसी दौरान वो इंटरव्यू में यह भी दावा कर रहे थे कि उन्होंने कभी भी हिन्दू मुसलमान नहीं किया। मोदी ने केंद्रीय चुनाव की आचार संहिता और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ताक पर रख दिया। सुप्रीम कोर्ट ने साम्प्रदायिक भाषणों पर पूरी तरह रोक लगा रखी है। चुनाव आयोग पांच चरण के चुनाव होने तक एक बार भी मोदी पर सीधे ठोस कार्रवाई नहीं की। यहां तक कि वो यह भी टिप्पणी नहीं कर सका कि प्रधानमंत्री को ऐसे भाषण नहीं देने चाहिए। लेकिन इसका एक नतीजा यह भी निकला कि लोगों ने मोदी के भाषणों को बतौर प्रधानमंत्री भी गंभीरता से लेना छोड़ दिया। सोशल मीडिया पर मोदी के भाषणों का मजाक, मीम, कार्टून अब आम बात है।

21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाड़ा में, मोदी ने रैली में मुसलमानों पर सीधे हमला किया। वेल्थ ड्रिस्ट्रीब्यून के संदर्भ में पहली बार "घुसपैठिए" का उल्लेख किया। अगर शुरू से 15 मई तक की बात करें तो उनके कुल 111 भाषणों में 12 बार घुसपैठियों का जिक्र आया था। इसी तरह बांसवाड़ा रैली से मोदी ने हिन्दू महिलाओं का मंगलसूत्र छीन कर मुस्लिम महिलाओं को देने का जिक्र भी किया। मंगलसूत्र टिप्पणी का जिक्र इस अवधि में 67 में से 23 भाषणों में आया। इसके बाद तो उन्होंने कई जगह कहा कि जिसके पास दो कमरे होंगे, एक छीनकर मुसलमान को दे देगी कांग्रेस, जिसके पास 2 भैंस होगी, एक भैंस मुसलमान को दे दी जाएगी। यहां तक मतदाताओं को क्रिकेट टीम में ज्यादा मुस्लिम खिलाड़ी होने का डर भी दिखाया। मोदी के 67 भाषणों में 43 बार राम और अयोध्या में राम मंदिर का जिक्र आया। हालांकि सीएसडीएस के सर्वे में पहले ही बता दिया गया था कि जनता राम मंदिर के मुद्दे को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही है। लेकिन मोदी ने अपनी तरफ से कोशिश नहीं छोड़ी।

21 अप्रैल से 15 मई तक हिंदू-मुस्लिम टिप्पणियाँ, कथित "मुस्लिम वोट बैंक" को लाभ पहुंचाने के लिए धन का रीडिस्ट्रीब्यूशन, दलित, एसटी और ओबीसी से आरक्षण की "छीनने" की बात मोदी के 67 में से 60 भाषणों में कही गई।


इसी अंतराल में मोदी ने क्रमशः 63 और 57 भाषणों में कांग्रेस और विपक्ष के कुशासन और भ्रष्टाचार को उठाया। लेकिन यूपी, एमपी में बिगड़ी कानून व्यवस्था, दलितों पर अत्याचार का जिक्र कभी नहीं किया। 400 पार का नारा कम होकर 67 भाषणों में से 16 पर आ गया है। 16 मई से अब जो उनके भाषण शुरू हुए हैं, उसमें 400 पार का उल्लेख दूर-दूर तक नहीं है। मोदी की 21 मई को बिहार और यूपी में रैलियां थीं लेकिन 400 पार नारे का जिक्र गायब था। मोदी और उनके मंत्री भीड़ का फोटो ट्वीट करते पाए गए। दरअसल तीन दिन पहले फूलपुर और प्रयागराज के करछना की रैलियों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए जो जनसैलाब उमड़ा, उससे मोदी को भीड़ का फोटो खुद शेयर करना पड़ा।

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25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का दावा करने वाले मोदी ने 111 भाषणों में 84 बार गरीबों का जिक्र किया। 69 बार किसानों और युवकों का जिक्र 56 बार किया। उनके 81 भाषणों में महिलाओं का उल्लेख हुआ। मोदी ने कभी कहा थाः मोदी सिर्फ 4 जातियां जानता है- वो हैं महिलाएं, युवा, किसान और गरीब। लेकिन आम चुनाव 2024 में मोदी ये सब भूलकर जनता को उसका धर्म और समुदाय याद दिला रहे थे, उसकी जातियां गिनवा रहे थे। वही मोदी, जिन्होंने कभी उन्हें कपड़ों से पहचानने की बात कही थी। 

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क़मर वहीद नक़वी
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