प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने-अपने घर लौटे प्रवासी मज़ूदरों के लिए रोज़गार मुहैया कराने के लिए एक नई योजना का एलान किया है। ग़रीब कल्याण रोज़गार अभियान नाम की इस स्कीम पर 50 हज़ार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मज़दूरों की हृदय विदारक स्थितियों से इस स्कीम को चालू करने की प्रेरणा मिली है। उन्होंने कहा कि अब तक जो प्रवासी मज़दूर शहरों के विकास में योगदान कर रहे थे, वे अब अपने गाँव या कस्बे के नज़दीक ही काम पाए सकें, इसे ध्यान में रखते हुए यह स्कीम शुरू की जा रही है।
प्रवासी मज़दूरों के लिए रोज़गार योजना का एलान करते हुए मोदी ने कहा,
“
'आज का दिन ऐतिहासिक है, ग़रीबों के कल्याण और आजीविका के लिए यह स्कीम शुरू की जा रही है। मेरे मज़दूर भाइयों, देश आपकी भावनाओं और ज़रूरतों को समझता है।'
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
उन्होंने कहा कि ग़रीब कल्याण रोज़गार अभियान 6 राज्यों के 116 ज़िलों में 125 दिन चलेगा। ये राज्य हैं-बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और राजस्थान। इन राज्यों में बड़ी तादाद में प्रवासी मज़दूर लौटे हैं।
बता दें कि 2011 की जनगणना का हवाला देते हुए तत्कालीन मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमणियम ने लिखा था कि देश में कुल श्रम-शक्ति 48.2 करोड़ लोगों की है। इसमें से हर तीसरा कामगार प्रवासी मज़दूर है। उनका अनुमान था कि 2016 तक यह संख्या 50 करोड़ को ज़रूर पार कर गयी होगी। इस तरह, यदि हम यह मान भी लें कि कोरोना की दस्तक से पहले भले ही भारत बेरोज़गारी के 45 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ चुका था, तो यह अनुमान ग़लत नहीं होगा कि अभी देश में तक़रीबन 17 करोड़ प्रवासी मज़दूर तो होंगे ही।
इसी गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि प्रवासी मजदूरों के हुनर का पता लगा लिया गया है। केंद्र और राज्य सरकारों ने मिल कर यह काम किया है और अपने घर लौटे प्रवासी मज़दूरों को उनके हुनर के मुताबिक ही उनके गाँव या कस्बे में ही काम दिया जाएगा। समझा जाता है कि ग़रीब कल्याण रोज़गार अभियान इसी मक़सद से शुरू किया गया है।
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