प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर ज़ोरदार पलटवार करते हुए जवाहरलाल नेहरू पर तीखा हमला बोला है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई बहस का जवाब देते हुए मोदी ने संसद में कहा कि ख़ुद नेहरू ने पाकिस्तान के हिन्दुओं की स्थिति पर चिंता जताई थी।
निशाने पर नेहरू
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि ऐसा करने की वजह से क्या नेहरू सांप्रदायिक थे? मोदी यहीं नहीं रुके, उन्होंने यहां तक कह दिया कि एक व्यक्ति की महात्वाकांक्षा पूरी करने के लिए देश के दो टुकड़े कर दिए गए।
प्रधानमंत्री ने विपक्ष की टोकाटोकी और सत्तारूढ़ दल के सदस्यों की मेज की थपथपाहट के बीच कहा :
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'प्रधानमंत्री बनने की किसी की इच्छा पूरी करने के लिए नक्शे पर एक रेखा खींच दी गई और भारत के दो टुकड़े कर दिए गए। विभाजन के बाद हिन्दुओ, सिखों और दूसरे अल्पसंख्यकों के साथ पाकिस्तान में अकल्पनीय उत्पीड़न हुआ।'
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
मोदी ने कहा कि 1950 में नेहरू-लियाकत अली समझौते में पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव नहीं करने की बात कही गई। मोदी ने सवाल किया : एक बड़े और धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति नेहरू, एक दृष्टा और आपके लिए सबकुछ, उन्होंने सभी नागरिकों की बात क्यों की, सिर्फ अल्पसंख्यकों की बात क्यों की? कोई कारण ज़रूर रहा होगा।
नेहरू ने असम के सीएम को लिखी चिट्ठी
इसके बाद मोदी ने नेहरू की चिट्ठी से उद्धरण दिया। मोदी ने कहा, नेहरू ने असम के मुख्यमंत्री कि चिट्ठी लिखी थी। मैं उन्हें उद्धृत कर रहा हूं, नेहरू कहा था, हिन्दू शरणार्थियों और मुसलमान प्रवासियों में आपको अंतर करना होगा।
मोदी ने इसके आगे भी नेहरू का उद्धरण दिया। उन्होंने कहा, नेहरू ने 1950 में संसद में कहा, इसमें कोई शक नहीं कि जो प्रभावित लोग शरण के लिए भारत आए हुए हैं, वे नागरिकता के हक़दार हैं, यदि मौजूदा क़ानून इसके अनुकूल नहीं हैं तो इसमें बदलाव किए जाने चाहिए। नेहरू ने 1953 में लोकसभा में कहा था, पूर्वी पाकिस्तान के अधिकारी हिन्दुओं पर दबाव डाल रहे हैं। क्या नेहरू सांप्रदायिक थे?
सिख विरोधी दंगे की चर्चा
मोदी का पूरा ज़ोर इस पर था कि नागरिकता संशोधन क़ानून में सांप्रदायिकता से जुड़ी कोई बात नहीं है और न ही यह संविधान के ख़िलाफ़ है। उनके कहने का मतलब था कि कांग्रेस इस मुद्दे पर लोगों को भड़का रही है और सांप्रदायिक राजनीति कर रही है।इसी क्रम में प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी निशाने पर लिया और संकेत दिया कि वह 1984 के सिख विरोधी दंगें में शामिल थे। मोदी ने कहा, जो पार्टी सांप्रदायिकता की बात करती रहती है, वह 1984 के सिख विरोधी दंगों को क्यों नहीं याद रखती है। यह शर्मनाक था। इसके अलावा उन्होंने दोषियों को सज़ा दिलाने की कोई कोशिश नहीं की। एक आदमी जो सिख-विरोधी दंगों में शामिल था, उसे मुख्यमंत्री बना दिया गया।
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