पंजाब के रहने वाले शौर्य चक्र पुरस्कार विजेता की विधवा का भत्ता भारत सरकार ने दो साल से अधिक समय से रोक रखा था। यह राशि सिर्फ 2.76 लाख रुपये थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इसमें दखल दिया और शौर्य चक्र से सम्मानित 'कॉमरेड' बलविंदर सिंह भिखीविंड की विधवा जगदीश कौर को बड़ी राहत देते हुए सरकार को 10 दिनों के भीतर उनका बकाया भुगतान करने का निर्देश दिया।
जगदीश कौर और उनके पति सहित, उनके परिवार में चार शौर्य चक्र पुरस्कार विजेता हैं। पुरस्कार विजेता होने के नाते 6,000 रुपये प्रति माह भत्ते की हकदार थीं। अक्टूबर 2020 में अपने पति की हत्या के बाद उन्हें इस पैसे की सख्त जरूरत थी लेकिन राष्ट्रवादी मोदी सरकार ने उनका भत्ता ही रोक लिया था।
उन्हें 18 महीने के लिए मासिक भत्ते से वंचित कर दिया गया और मई 2022 से सारा भत्ता बंद कर दिया गया था। तब जगदीश कौर ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की। कोर्ट में उनका प्रतिनिधित्व वकील अंकित सिंह सिनसिनवार, नेहा यादव, धनंजय कुमार और रवि कुमार ने किया।
कौर के परिवार को 1990 में खालिस्तानी आतंकवादियों द्वारा कई हमलों का सामना करना पड़ा था। कौर ने उस वर्ष 30 सितंबर को हुए एक हमले को याद करते हुए इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "200 आतंकवादियों के खिलाफ हम चार लोग थे... उनके पास ग्रेनेड और रॉकेट लॉन्चर थे। मेरे पति ने एक आतंकवादी को घायल कर दिया। जैसे ही ऐसा हुआ, उनकी ओर से गोलीबारी बंद हो गई... हमने सोचा था कि हम उस दिन मर जाएंगे इसलिए हमने जीवित रहने की पूरी कोशिश की।'' उन्होंने कहा कि उनके परिवार पर लगातार पांच घंटे तक गोलीबारी की गई। उसने उन चारों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने हमले को रोकने के लिए पिस्तौल और स्टेनगन से जवाबी कार्रवाई की थी।
एक साल बाद, अक्टूबर 2020 में, आतंकवादियों ने उनके घर में घुसकर बलविंदर को गोली मार दी, जिनकी बाद में चोटों के कारण मौत हो गई। कौर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि आतंकवादी 2018 से उनके पति को मारने की योजना बना रहे थे। लेकिन सरकार को इसकी परवाह नहीं थी।
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