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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के मामले में संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर दिए! क़ानूनी तौर पर यह वर्मा के पक्ष में है। इसकी वजह यह है कि 90 फ़ीसद से ज़्यादा मामलों में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट पहली सुनवाई पर ही याचिका ख़ारिज कर देते हैं। पर जो लोग कुछ ज़्यादा की उम्मीद कर रहे थे, उन्हे निराशा हुई और सरकार की ओर से वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस निराशा पर ही निशाना साधा।
सीवीसी वर्मा के खिलाफ अस्थाना की शिकायत की जाँच करेगी पर सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज उसकी निगरानी करेंगे। यह काम उसे दो हफ़्ते में निबटाना भी है। यानी यदि मोदी सरकार अस्थाना के पक्ष में जाँच रिपोर्ट अदालत में कोई फ़ेवर सीवीसी से लेना चाहे तो उसे मुश्किल होगी।
इसके साथ ही कार्यवाहक सीबीआई निदेशक नागेश्वर को भी 'सीमित' कर दिया गया है। वे नीतिगत फ़ैसले न ले सकेंगे। दरअसल उनको उनकी हैसियत समझाने के लिए क़ानूनी इशारा है। अदालत ने अस्थाना के वकील मुकुल रोहतगी को मामले में दख़ल देने से रोका और सिर्फ़ आलोक वर्मा और कॉमन कॉज संस्था की याचिकाएँ सुनीं।
अब केंद्र सरकार सीबीआई, सीवीसी और अस्थाना 12 नवंबर की सुनवाई से पहले नोटिस का जवाब दाख़िल करेंगे। सीवीसी जाँच रिपोर्ट दाख़िल करेगी। वर्मा इसका जवाब तैयार करेंगे।
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