केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। यह 17वीं लोकसभा का 13वां सत्र होगा। वहीं राज्यसभा का 261वां सत्र होगा। यह विशेष सत्र पांच बैठकों या पांच दिनों के लिए बुलाया जा रहा है। इसकी जानकारी गुरुवार को संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्वीट कर दी है। उन्होंने कहा कि अमृत काल के बीच संसद में सार्थक चर्चा और बहस का इंतजार कर रहा हूं। तो सवाल है कि आख़िर लोकसभा चुनाव से ऐन पहले यह सत्र क्यों बुलाया जा रहा है? आख़िर ऐसा चौंकाने वाला फ़ैसला क्यों? क्या सरकार चुनाव से पहले कुछ बड़ा बदलाव लाने की तैयारी में है?
संसद का विशेष सत्र क्यों बुलाया जा रहा है इसको लेकर स्पष्ट जानकारियां सामने नहीं आई हैं लेकिन माना जा रहा है कि केंद्र सरकार इस विशेष सत्र में कई विधेयकों को पास करवाना चाहती है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार संसद के विशेष सत्र में सरकार 'एक राष्ट्र, एक चुनाव', समान नागरिक संहिता और महिला आरक्षण पर बिल पेश कर सकता है। इस विशेष सत्र को बुलाने को लेकर विपक्ष ने सरकार की आलोचना की है। विपक्ष का कहना है कि बिना विपक्ष को विश्वास में लिए या विपक्ष के साथ बैठक किए हुए संसद का विशेष सत्र सरकार ने बुलाया है।
इससे पूर्व संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होकर 11 अगस्त तक चला था। मानसून सत्र में विपक्ष की ओर से मणिपुर हिंसा को लेकर तीखे सवाल उठाए गए थे। कई बार विपक्ष ने मणिपुर के मुद्दे पर संसद में जमकर विरोध किया था जिसके कारण संसद का कामकाज भी बाधित हुआ था।
मानसून सत्र में ही विपक्ष की ओर से सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। इस पर लंबी बहस के बाद सरकार के खिलाफ लाया गया यह अविश्वास प्रस्ताव संसद में गिर गया था। मानूसन सत्र में ही दिल्ली सेवा विधेयक को केंद्र सरकार ने पास करवाने में कामयाबी पाई थी। संसद की अपनी सदस्यता बहाल होने के बाद बीते मानसून सत्र में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने हिस्सा लिया था। राहुल गांधी ने संसद में दिए अपने भाषण में मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया था। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के आखिरी दिन सदन में अपनी बातें रखी थी।
शिवसेना सांसद ने उठाया इस पर सवाल
राज्यसभा सांसद और शिवसेना (उद्धव गुट) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने की आलोचना की है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सत्र भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार गणेश उत्सव के दौरान बुलाया गया। संसद का यह विशेष सत्र बुलाना हिंदू भावनाओं के खिलाफ है। वहीं अचानक से संसद के विशेष सत्र बुलाने को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। समाचार टीवी चैनल आज तक ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस विशेष सत्र में एक देश एक चुनाव को लेकर विधेयक ला सकती है। अगर ऐसा हुआ तो एक साथ ही लोकसभा और सभी राज्यों के चुनाव होंगे।
ऐसा होता है तो यह देश के लिए बहुत बड़ी घटना होगी। ऐसा होने पर विपक्ष संसद में इसका विरोध कर सकता है। वहीं दूसरी ओर विभिन्न विपक्षी नेताओं ने दावा किया है कि देश के महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की बात कही है। विपक्ष का कहना है कि उनकी एकता को देखकर सरकार घबरा गई है इसको देखते हुए ही सरकार जल्द से जल्द चुनाव कराना चाहती है।
कई अहम विधेयकों को पास कराना चाहती है सरकार
सूत्रों के मुताबिक संसद के इस विशेष सत्र में सरकार कई अहम विधेयकों को पास कराना चाहती है इसी लिए यह सत्र बुला रही है। इसमें सरकार एक साथ लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव कराने को लेकर विधेयक ला सकती है। साथ ही यूसीसी और महिला आरक्षण को लेकर भी विधेयक लाए जा सकते हैं। हालांकि इस विशेष सत्र का मकसद क्या है इसको लेकर आने वाले दिनों में स्थिति साफ हो पाएगी अभी सिर्फ कयास लगाए जा रहे हैं। कई जानकार बता रहे हैं कि इतने जल्दी में एक साथ लोकसभा चुनाव और राज्यसभा के चुनाव करवाना का फैसला लेना संभव नहीं है। लेकिन सरकार इस मुद्दे पर चर्चा शुरु कर सकती है। जानकारों का मानना है कि सरकार लोकसभा के चुनाव जल्दी करवा सकती है।
विशेष सत्र में इन मुद्दों को उठा सकता है विपक्ष
संसद के विशेष सत्र में विपक्ष हाल के दिनों के कई मुद्दे उठकार सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। माना जा रहा है कि इस विशेष सत्र में विपक्ष चीन के नये नक्शे का मामला उठा सकता है। चीन ने बीते दिनों एक नया नक्शा जारी किया है, जिसमें भारत के अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना हिस्सा बताया है। इसको लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है।पिछले दिनों राहुल गांधी ने अपनी लद्दाख यात्रा के दौरान कहा था कि चीन ने हमारे इलाके में घुसपैठ की है। उन्होंने कहा था कि पूरा लद्दाख इस बात को जानता है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर बयान देना चाहिए। इसके साथ ही विपक्ष अडानी-हिंडनबर्ग मामले को लेकर भी संसद में सरकार को घेर सकता है। विपक्ष की मांग हो सकती है कि अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच जेपीसी से कराई जाए। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने भी गुरुवार को कहा है कि अडाणी समूह से जुड़े पूरे प्रकरण की सच्चाई जेपीसी के माध्यम से ही बाहर आ सकती है। विशेष सत्र में विपक्ष महंगाई का मुद्दा उठा सकता है।
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