केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण विभाग केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने गुरुवार को गंगा जल (पवित्र गंगा नदी का पानी) पर जीएसटी लगाए जाने की अफवाहों पर सफाई देते हुए कहा कि चूंकि गंगाजल 'पूजा सामग्री' है, इसलिए यह जीएसटी के अंतर्गत नहीं आता है।
सीबीआईसी ने यह भी कहा कि जब से 1 जुलाई, 2017 से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हुआ है, अब तक कभी भी जीएसटी पूजा की वस्तुओं पर लागू नहीं हुआ है।
सीबीआईसी ने ट्विटर (एक्स) पर कहा- “देश भर के घरों में पूजा में गंगाजल का उपयोग किया जाता है और पूजा सामग्री को जीएसटी के तहत छूट दी गई है। 18/19 मई 2017 और 3 जून 2017 को हुई जीएसटी परिषद की क्रमशः 14वीं और 15वीं बैठक में पूजा सामग्री पर जीएसटी पर विस्तार से चर्चा की गई और उन्हें छूट सूची में रखने का निर्णय लिया गया। इसलिए, जीएसटी की शुरूआत के बाद से इन सभी वस्तुओं को छूट दी गई है।”
वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग, सीबीआईसी की ओर से यह स्पष्टीकरण कई मीडिया रिपोर्टों में ऐसा दावा किए जाने के बाद आया है कि अब से, पवित्र जल जीएसटी के तहत आएगा, जिस पर टैक्स की दर 18% होगी।
इन रिपोर्टों के बाद भाजपा और कांग्रेस के बीच जुबानी युद्ध शुरू हो गया और कांग्रेस ने सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधा।
हालांकि कुछ लोगों ने सीबीआईसी के बयान को गलत ठहराना चाहा। ऐसे लोगों ने गंगाजल सेवाओं पर इंडिया पोस्ट के आरोपों के स्क्रीनशॉट के साथ विरोध करने की कोशिश की, जिसमें कहा गया था कि 'जीएसटी @ 18% शामिल है।' हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह 18% टैक्स डाक/कूरियर सेवाओं पर है, न कि गंगाजल पर। यानी अगर आप डाक विभाग से गंगा जल मंगाते हैं तो 18 फीसदी जीएसटी लगेगा। यह जीएसटी उत्पाद पर नहीं है, बल्कि डाक विभाग की सर्विस पर है।
अपनी राय बतायें