प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 57 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली है, लेकिन अब अटकलें इस बात की लगाई ज रही हैं कि मोदी सरकार में अब नंबर 2 कौन होगा? यानी गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी किसको मिलेगी? हालाँकि शपथ लेने वालों के क्रम में दूसरे नंबर पर राजनाथ सिंह रहे, लेकिन अमित शाह मोदी के सबसे क़रीबी रहे हैं और माना जा रहा है कि शाह को यह ज़िम्मेदारी मिल सकती है। वैसे, प्रधानमंत्री मोदी चौंकाने वाले फ़ैसले लेते रहे हैं। मेनका गाँधी, सुरेश प्रभु, जेपी नड्डा, राधा मोहन सिंह जैसे नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलना, 30 पुराने मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाना और पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर को कैबिनेट में जगह मिलना मोदी का कम चौंकाने वाला फ़ैसला नहीं है। गृह मंत्रालय की ज़िम्मेदारी देने में भी कुछ ऐसा ही निर्णय लिया जा सकता है।
अमित शाह को गृह मंत्रालय की ज़िम्मेदारी मिलने की स्थिति में राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्रालय का ज़िम्मा दिया जा सकता है और वित्त मंत्रालय की ज़िम्मेदारी निर्मला सीतारमण को दी जा सकती है। हालाँकि, अटकलें तो यह भी लगाई जा रही हैं कि अमित शाह को वित्त मंत्रालय का ज़िम्मा दिया जा सकता है और ऐसे में राजनाथ सिंह ही गृह मंत्री बने रह सकते हैं।
मंत्रिमंडल में इन नेताओं को नहीं मिली जगह
अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और उमा भारती भी इस बार कैबिनेट में नहीं हैं। जेटली ने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए सरकार में शामिल न किए जाने का अनुरोध किया था, जबकि स्वराज और भारती ने लोकसभा चुनाव ही नहीं लड़ा था। मेनका गाँधी, सुरेश प्रभु, जेपी नड्डा, राधा मोहन सिंह को इस बार मंत्री नहीं बनाया गया। राज्य मंत्री रहे राज्यवर्धन सिंह राठौड़, महेश शर्मा, जयंत सिन्हा, एसएस अहलुवालिया, विजय गोयल, रमेश जिगाजिनागी, राम कृपाल यादव, अनंत कुमार हेगडे़, अनुप्रिया पटेल, सत्यपाल सिंह को भी शामिल नहीं किया गया है। मोदी के नए मंत्रिमंडल में पूर्व दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा को भी शामिल नहीं किया गया है। हालाँकि सिन्हा गाजीपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव हार गए हैं।
क्या मोदी सरकार 2.0 में सहयोगी दलों की उपेक्षा हुई?
पर्यवेक्षकों का कहना है कि ख़ुद बीजेपी को इतना ज़बरदस्त बहुमत मिला है कि उसे अब किसी सहयोगी दल की ज़रूरत ही नहीं है, वह उनकी मदद के बग़ैर भी बड़े आराम से सरकार चला सकती है। लिहाज़ा, उसने छोटे दलों को ज्यादा भाव नहीं दिया। अब यह उन सहयोगियों पर निर्भर करता है कि वे मन मार कर मोदी सरकार में शामिल होते हैं या नहीं। पर्यवेक्षकों का यह भी कहना है कि यह बीजेपी अमित शाह की है, जो अपने आक्रामक रवैए के लिए जाने जाते हैं। वह अपनी मर्ज़ी से सरकार चलाएँगे।
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कल ही उनका प्रस्ताव आया था कि एनडीए के सहयोगियों को 1-1 मंत्री बनाना चाहते हैं। इसके बाद मैंने कहा कि हमने बिहार में मिलकर सरकार चलाई है और चला रहे हैं। अगर यह सांकेतिक भागीदारी है तो हम नहीं चाहते हैं। इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। हम सरकार में शामिल नहीं होंगे लेकिन एनडीए में बने रहेंगे। हमें कोई नाराज़गी भी नहीं है।
नीतीश कुमार, नेता, जनता दल यूनाइटेड
Bihar CM Nitish Kumar: They wanted only 1 person from JDU in the cabinet, so it would have been just a symbolic participation.We informed them that it is ok we don't need it. It is not a big issue, we are fully in NDA and not upset at all.We are working together,no confusion. pic.twitter.com/AsDa8EUnUN
— ANI (@ANI) May 30, 2019
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