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मोदी के दोस्त अडानी MSP लागू नहीं होने दे रहे: मलिक

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसानों के मुद्दे पर मोदी सरकार पर फिर निशाना साधा है। मलिक ने कहा कि किसानों को एमएसपी पर कोई हरा नहीं सकता। एमएसपी पर भयंकर लड़ाई अभी होना है। मोदी जी के मित्र अडानी एमएसपी नहीं लागू होने दे रहे हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिर मेवात के नूंह में रविवार को गौशाला के एक कार्यक्रम में सत्यपाल मलिक ने कहा कि देश के किसानों को हराया नहीं जा सकता है और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा। 

अगर एमएसपी लागू नहीं हुआ और एमएसपी पर कानूनी गारंटी नहीं दी गई, तो एक और लड़ाई होगी और इस बार यह एक भयंकर लड़ाई होगी। आप इस देश के किसान को नहीं हरा सकते। आप उसे डरा नहीं सकते... चूंकि आप उसके पास ईडी या आयकर अधिकारी नहीं भेज सकते, तो आप किसान को कैसे डराएंगे?


-सत्यपाल मलिक, राज्यपाल मेघालय, रविवार को नूंह (मेवात) में

सत्यपाल मलिक समाजवादी पृष्ठभूमि के नेता हैं। वो अक्सर केंद्र सरकार पर किसानों के मुद्दे पर निशाना साधते रहे हैं। जब किसान दिल्ली की सीमा पर धरना देकर बैठे थे, तब भी मलिक ने मोदी सरकार को समझाने की कोशिश की थी।
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उन्होंने कहा, एमएसपी लागू नहीं की जा रही है क्योंकि प्रधानमंत्री का एक दोस्त है जिसका नाम अडानी है, जो इस समय सबसे अमीर व्यक्ति बन गया है। गुवाहाटी हवाई अड्डे पर, मैं गुलदस्ता पकड़े एक महिला से मिला। जब मैंने उससे पूछा कि वह कहां से है, तो उसने जवाब दिया, 'हम अडानी की तरफ से आए हैं।' मैंने पूछा इसका क्या मतलब है। उन्होंने कहा कि यह हवाईअड्डा अडानी को सौंप दिया गया है... 

अडानी को हवाई अड्डे, बंदरगाह, प्रमुख योजनाएं दी गई हैं...और एक तरह से देश को बेचने की तैयारी है, लेकिन हम ऐसा न होने दें।


-सत्यपाल मलिक, राज्यपाल मेघालय (रविवार को नूंह में)

उन्होंने कहा कि पानीपत में अडानी ने एक बड़ा गोदाम बना लिया है और सस्ते दामों पर खरीदे गए गेहूं से उसका स्टॉक कर लिया है। जब महँगाई होगी, वह उस गेहूं को बेचेगा… इसलिए ये पीएम के दोस्त मुनाफा कमाएँगे और किसानों को नुकसान होगा। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसके खिलाफ लड़ाई होगी।
मलिक ने इस साल 3 जनवरी को भी हरियाणा के दादरी में एक समारोह में बोलते हुए आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब किसानों के विरोध पर चर्चा करने के लिए उनसे मिले थे तो वे अहंकारी थे।

राज्यपाल मलिक ने रविवार को भी वही घटना दोहराते हुए कहा -  मैंने प्रधानमंत्री से मुलाकात की। मैंने देखा था कि किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे थे ... मैंने पीएम से कहा कि उनमें से प्रत्येक व्यक्ति 40 गांवों का मुखिया है ... 700 किसान मारे गए। जब एक कुत्ता भी मर जाता है, तो दिल्ली से एक शोक संदेश भेजा जाता है। किसानों के लिए कोई शोक संदेश नहीं भेजा गया…

मलिक ने बताया कि मैंने उनसे (पीएम मोदी से) कहा कि उन्हें बैठे हुए एक साल हो गया है, उन्हें कुछ दे दो और इसे सुलझाओ। उन्होंने मुझसे कहा कि वे जाएंगे और मुझे इसकी चिंता क्यों थी। उन्होंने इसे बहुत हल्के में लिया। मैंने उनसे कहा कि आप उन्हें नहीं जानते... बाद में, वह समझ गए और कानून निरस्त कर दिए गए और उन्होंने माफी भी मांगी। 
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आगे की योजना बताई

उन्होंने कहा कि अपना वर्तमान कार्यकाल पूरा करने के बाद, वह किसानों के अधिकारों की लड़ाई में पूरी तरह से भाग लेंगे। मलिक ने कहा कि मैं आप सभी को बताना चाहता हूं कि किसानों द्वारा एक और विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और जब ऐसा होगा, तो जाति के मतभेदों को छोड़कर एक साथ लड़ेंगे। ऐसा मत सोचो कि यह सिखों या जाटों का विरोध है। अगर आप एक साथ लड़ना सीख गए तो कोई भी सरकार आपको हरा नहीं सकती। यह हर किसान, उनके खेतों, उपज, फसलों की कीमत की लड़ाई है...किसान भुगत रहे हैं, उनकी उपज सस्ती हो रही है और खाद, सिंचाई महंगी हो रही है।
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क़मर वहीद नक़वी
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