प्रधानमंत्री आवास पर चल रही केंद्रीय कैबिनेट की बैठक ख़त्म हो गई है। गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा और लोकसभा में कश्मीर को लेकर बयान देंगे। जानकारी मिल रही है कि केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में कश्मीर मुद्दे को लेकर चर्चा हुई है। इससे पहले कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक हुई। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल मौजूद रहे। इससे पहले रविवार रात को जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती और नेशनल कॉफ़्रेन्स के नेता उमर अब्दुल्ला, पीपल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन को रविवार रात को नजरबंद कर दिया गया था। तमाम टीवी चैनलों, राजनीतिक हलकों और सोशल मीडिया में इस बात को लेकर जोरदार चर्चा है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35ए को ख़त्म करने के बारे में फ़ैसला ले सकती है। हालाँकि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इस तरह की बातों को सिर्फ़ अफ़वाह क़रार दिया है। लेकिन फिर भी यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35ए हटाने की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।
बता दें कि कश्मीर में केंद्र सरकार ने 35,000 से ज़्यादा जवानों की तैनाती कर दी है। इस बात को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं कि केंद्र सरकार ने कश्मीर में अतिरिक्त जवानों की तैनाती क्यों की है।रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, इंटेलीजेंस ब्यूरो के प्रमुख अरविंद कुमार, रॉ के सामंत गोयल, केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा और मंत्रालय के अन्य अहम अधिकारियों के साथ बैठक की थी।
अभिनेता से नेता बने अनुपम खेर ने ट्वीट कर कहा है कि कश्मीर समस्या का समाधान शुरू हो गया है। अनुपम खेर से पहले योग गुरु बाबा रामदेव ने भी कहा था कि आज़ादी के बाद से जिसका इंतजार था अब वह होने वाला है। बाबा रामदेव ने कहा था कि एक देश, एक संविधान, एक झंडा, एक एजेंडा का लक्ष्य पूरा होगा। उन्होंने कहा था कि मोदी और शाह के नेतृत्व में यह काम होगा।
बीते कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में बेहद उथल-पुथल का माहौल है। आम लोगों को यह नहीं समझ आ रहा है कि आख़िर क्यों इतनी बड़ी संख्या में जवानों को कश्मीर में तैनात किया गया है। आगे किसी तरह की परेशानी से बचने के लिए लोगों ने रोजमर्रा की ज़रूरत की चीजें ख़रीद ली हैं। पेट्रोल पंपों पर लोगों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं। श्रीनगर, बड़गाम, पुलवामा, कुपवाड़ा, कुलगाम, शोपियां, बारामूला और सोपोर आदि इलाक़ों में लोग इस बात को लेकर डरे हुए हैं कि क्या कहीं राज्य में फिर से तो कर्फ्यू नहीं लगने वाला है।
ख़ुफ़िया रिपोर्टों के मुताबिक़, सीमापार से आतंकवादी घुसपैठ की तैयारी में हैं और फ़रवरी में हुए पुलवामा जैसे हमले को अंजाम देने की कोशिश कर सकते हैं। इसे देखते हुए, बड़ी संख्या में जवानों को जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया है और राज्य में अमरनाथ यात्रा पर आए श्रद्धालुओं और यात्रियों से जल्द से जल्द वापस जाने के लिए कहा गया था। बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक घाटी को छोड़कर जा रहे हैं।
क्या है अनुच्छेद 35ए?
देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने एक आदेश से 35ए को 14 मई, 1954 को संविधान में शामिल किया था। यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार और सुविधाएँ प्रदान करता है और इसके अंतर्गत राज्य के बाहर के व्यक्ति पर यहाँ कोई भी अचल संपत्ति ख़रीदने पर प्रतिबंध लगाता है। यह अनुच्छेद राज्य की विधानसभा को जम्मू-कश्मीर के ‘स्थाई निवासी’ को परिभाषित करने और उन्हें विशेष सुविधाएँ उपलब्ध कराने का अधिकार देता है।अनुच्छेद 370 की संवैधानिकता को पहले भी चुनौती दी गयी थी। उच्चतम न्यायालय की पाँच सदस्यीय संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 के तहत संविधान में सुधार करने के राष्ट्रपति के अधिकारों पर विचार किया। संविधान पीठ ने 1961 में अपने फ़ैसले में कहा था कि राष्ट्रपति अनुच्छेद 370 के तहत वर्तमान प्रावधान में सुधार कर सकते हैं, लेकिन फ़ैसले में इस सवाल पर ख़ामोशी थी कि क्या संसद की जानकारी के बग़ैर राष्ट्रपति संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़ सकते हैं।बीजेपी, संघ का है एजेंडा
लगता है कि केंद्र की मोदी सरकार इस बार 35ए और धारा 370 पर आर या पार करना चाहती है। गृह मंत्री अमित शाह संसद में कह चुके हैं कि धारा 370 अस्थायी है। बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ धारा 370 और 35ए को ख़त्म करने की माँग लंबे अरसे से उठाते रहे हैं। जम्मू-कश्मीर बीजेपी के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने भी कहा है कि धारा 35ए के ज़रिए संविधान ही नहीं, संसद को भी छला गया और इसे गुपचुप तरीक़े से लाया गया था। उन्होंने कहा कि हम इसे ख़त्म करेंगे क्योंकि हमने देश से इसका वायदा किया है। धारा 370 और 35ए को हटाने का जिक्र बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र 2019 में प्रमुखता से किया है।
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