मे़डिकल इंटर्न्स और एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के छात्रों को कोरोना मरीजों की देखभाल के काम में लगाया जाएगा। सरकार ने यह फ़ैसला इसलिए लिया है कि कोरोना संक्रमित लोगों की देखभाल के लिए अधिक संख्या में स्वास्थ्य कर्मी मिल सकें।
यह निर्णय ऐसे समय लिया गया है जब रोज़ाना लगभग पौने चार लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं और तीन हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत रोज़ाना हो रही है।
परीक्षा टाली
सरकार ने कोरोना रोगियों की बढ़ती तादाद के मद्देनज़र कई अहम फ़ैसले लिए हैं। अंतिम वर्ष के एमबीबीएस छात्रों को कोरोना से हल्के रूप से प्रभावित लोगों के इलाज में लगाया जा सकेगा, जबकि इन्टर्न्स टेली-मेडिसिन में भाग ले सकेंगे। ये दोनों ही समूह के लोग वरिष्ठ डॉक्टर की देखरेख में ही काम करेंगे।
इसी तरह जीएनएम यानी जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफ़ पास नर्सों को कोरोना मरीजों की देखभाल में लगाया जाएगा, पर वे भी वरिष्ठों की देखरेख में ही काम करेंगी।
इसके साथ ही सरकार ने पोस्ट ग्रैजुएट मेडिकल कोर्स में दाखिले के लिए होने वाली परीक्षा भी टाल दी है और अब यह 31 अगस्त के बाद ही ली जाएगी।
सरकार ने कहा कि ये फ़ैसले इसलिए लिए गए हैं कि कोरोना से रोगियों की देखभाल में ज़्यादा डॉक्टर-नर्स उपलब्ध हो सकें। इन लोगों को प्राइम मिनिस्टर कोविड नेशनल सर्विस अवॉर्ड दिया जाएगा और सरकार नौकरियों में उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।
कोरोना का कहर
बता दें कि एक दिन में नए कोरोना मामलों की संख्या शनिवार की सुबह चार लाख के पार हो गई। यह अब तक का रिकार्ड है। लगातार आठ दिनों तक तीन लाख से अधिक नए मामलों के आने के बाद अब यह संख्या चार लाख के भी ऊपर निकल गई।
शनिवार की सुबह स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आँकड़ों के मुताबिक इसके पहले के 24 घंटो में कोरोना के नए 4,01,993 दर्ज किए गए। इस दौरान 3,523 कोरोना रोगियों की मौत हो गई।
इसके साथ ही शनिवार सुबह तक कोरोना से संक्रमितों की संख्या 1,87,62,976 हो गई है। इसके अलावा कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या दो लाख के आँकड़े को पार करते हुए 2,08,330 हो गई।
कोरोना संक्रमण की भयावहता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि यह लगातार 10वां दिन है, जब कोरोना संक्रमण के मामले 3 लाख से ज्यादा आए हों। पिछले 10 दिनों में औसतन 3.50 लाख नए मामले रोज आए हैं।
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