फ्रांस के भारत स्थित पत्रकार सेबेस्टियन फ़ार्सिस को 17 जून को भारत छोड़कर फ्रांस लौटने पर मजबूर कर दिया गया। वो 2011 से ही भारत में फ्रांसीसी दैनिक समाचार पत्र लिबरेशन और फ्रांसीसी सार्वजनिक रेडियो प्रसारक आरएफआई और रेडियो फ्रांस के लिए रिपोर्टिंग कर रहे थे। 7 मार्च को गृह मंत्रालय ने बिना किसी स्पष्टीकरण पत्रकार के रूप में काम करने के उनके परमिट को नवीनीकृत करने से इनकार कर दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय से पत्रकार सेबेस्टियन की बार-बार की गई अपील को नजरअंदाज कर दिया। रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स ने भारत सरकार के इस कृत्य की निन्दा की है।
After 13 years working as a correspondent in India, the authorities have denied me a permit to work as a journalist. I have thus been forced to leave the country.
— Sébastien Farcis (@sebfarcis) June 20, 2024
Here is my statement. pic.twitter.com/m52Q4ABsRk
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पिछले दो वर्षों में ओसीआई स्थिति वाले कम से कम पांच विदेशी संवाददाताओं को पत्रकार के रूप में काम करने पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है।
एबीसी की ब्यूरो चीफ को भारत छोड़ना पड़ा
फ्रांसीसी पत्रकार वैनेसा डौग्नैक के बाद ऑस्ट्रेलियन ब्राडकास्टिंग कॉरपोरेशन (एबीसी) की ब्यूरो चीफ को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। यह घटनाक्रम अप्रैल का है। महिला ब्यूरो चीफ चुनाव शुरू होते ही फ्लाइट पकड़कर वापस ऑस्ट्रेलिया जाने को मजबूर हुईं। मोदी सरकार एबीसी साउथ एशिया ब्यूरो प्रमुख अवनि डायस की सिख अलगाववाद पर उनकी रिपोर्टिंग से नाखुश थी। अवनि को बताया गया कि उनका पत्रकार वीजा नवीनीकृत नहीं किया जाएगा। अवनि ने यह बात खुद भारतीय मीडिया को बताई। चुनाव के शोर में ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार को वापस भेजने की खबर दब 19 गई।एबीसी ने उस समय अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित लेख में कहा था कि ऑस्ट्रेलियाई राजनयिकों और विदेश मंत्री पेनी वोंग के कार्यालय द्वारा भारत सरकार को अपना निर्णय बदलने का भी अनुरोध किया गया। डायस के वीज़ा की अवधि दो महीने के लिए बढ़ाई गई लेकिन बाद में इस फैसले को रद्द करते हुए अवनि डायस से कहा गया कि 24 घंटे में उन्हें भारत छोड़ देना है। अवनि डायस ने भारत के आम चुनाव के पहले दिन 19 अप्रैल को ऑस्ट्रेलिया के लिए उड़ान भरी।
अवनि डायस ने इसके बाद एबीसी पर अपनी पॉडकास्ट सीरीज, "लुकिंग फॉर मोदी" के नए एपिसोड में कहा, "भारत में काम करना बहुत मुश्किल लग रहा था। मैं मोदी की पार्टी द्वारा संचालित सार्वजनिक कार्यक्रमों में जाने के लिए संघर्ष कर रही थी, सरकार मुझे चुनाव कवर करने के लिए आवश्यक पास भी नहीं देती थी।”
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