विदेश मंत्रालय ने यह कह सबको चौंका दिया कि यदि 21 दिनों का लॉकडाउन नहीं हुआ होता तो भारत में इस संक्रमण की चपेट में 8 लाख लोग आ गए होते।
लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसका खंडन करते हुए कहा है कि ऐसा कोई अध्ययन नहीं हुआ है, ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर के अनुसार, विदेश सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप ने एक प्रेस ब्रीफिंग में दावा किया कि सोशल डिस्टैंसिंग के उपाय नहीं अपनाए जाने पर वायरस की प्रजनन दर 2.5 व्यक्ति प्रति दिन होती, लॉकडाउन की वजह से इसमें 75 प्रतिशत की कमी आई और यह दर घट कर 0.625 व्यक्ति प्रति दिन रह गई।
विकास स्वरूप ने इसके आगे कहा कि लॉकडाउन नहीं होने पर 15 अप्रैल तक देश में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या 8,20,000 होती। उन्होंने बाद में यह भी कहा कि वह यह बात इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के एक अध्ययन और उसकी रिपोर्ट के आधार पर कह रहे हैं।
लेकिन बाद में स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी लव अग्रवाल ने इससे इनकार कर दिया है। उन्होंने साफ़ कह दिया कि ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है।
भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वालों की संख्या 7,447 हो गयी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, भारत में अब तक 239 लोगों की इस वायरस के कारण मौत हो चुकी है। 642 रोगी ठीक भी हो चुके हैं।
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