जम्मू कश्मीर में चुनाव को देखने के लिए भारत ने कुछ चुनिंदा विदेशी राजनयिकों को आमंत्रित किया है। जिन देशों के राजनयिकों को बुलावा भेजा गया है उनमें मुख्य रूप से अमेरिकी, यूरोपीय और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन के दूतावासों से वरिष्ठ राजनयिक शामिल हैं। द हिंदू ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि जम्मू और कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव और पहले चरण के मतदान में 61% मतदान से उत्साहित होकर विदेश मंत्रालय ने 'जम्मू और कश्मीर में चल रही चुनाव प्रक्रिया का सीधी जानकारी पाने के लिए' यह आमंत्रण भेजा है।
रिपोर्ट के अनुसार यह पहले की तुलना में कश्मीर में चुनावों पर भारत के रुख में एक बड़े नीतिगत बदलाव को भी दिखाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले चुनाव प्रक्रिया के दौरान आम तौर पर विदेशी राजनयिकों को जम्मू-कश्मीर जाने से हतोत्साहित किया जाता था। हालाँकि, पिछली बार सरकार ने इस तरह के दौरे 2020 में किए थे। तब राज्य को विभाजित करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाँट दिया गया था।
चार साल पहले विभिन्न देशों के राजदूतों के समूहों के साथ-साथ यूरोपीय संसद के सदस्यों को 5 अगस्त, 2019 के बाद घाटी में किए गए सुरक्षा उपायों, इंटरनेट पर रोक और सैकड़ों राजनीतिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर चिंताओं को दूर करने के लिए जम्मू और श्रीनगर ले जाया गया था। हालाँकि, तब आरोप लगा था कि चुनिंदा राजनयिकों को ले जाकर सबकुछ सही होने की बात साबित करने की कोशिश की गई। मई 2023 में जी20 पर्यटन बैठक के दौरान दौरे के लिए श्रीनगर में राजनयिकों का स्वागत किया गया था।
बहरहाल, द हिंदू ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में कार्यरत चुनिंदा दूतावासों के क़रीब 20 राजनयिकों को निमंत्रण भेजा है, जिनमें अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, सिंगापुर, फिलीपींस और मलेशिया शामिल हैं। अब तक 16 राजनयिकों ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। संभावना है कि वे 25 सितंबर को दो दिवसीय दौरे पर कश्मीर पहुंचेंगे, जिस दिन श्रीनगर में मतदान होना है।
1 अक्टूबर को तीसरे चरण से पहले राजनयिकों का एक समूह कश्मीर का दौरा कर सकता है, जब उत्तरी कश्मीर के बारामुल्ला, बांदीपोरा और कुपवाड़ा जिलों में मतदान होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेश मंत्रालय ने यात्राओं के बारे में जानकारी के अनुरोध और विभिन्न देशों के दूतावासों को किस आधार पर आमंत्रित किया गया था, इसका जवाब नहीं दिया।
राजनयिकों के दौरे आयोजित करने का नई दिल्ली का कदम ऐसे समय में आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राज्य अमेरिका पहुंचे हैं, जहां वह क्वाड शिखर सम्मेलन और भविष्य के संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।
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