मथुरा ईदगाह मस्जिद और कृष्ण जन्मभूमि विवाद में पहले मामले को गुरुवार को खोल (रीस्टोर) दिया गया। इस विवाद में कुल 11 मामले दर्ज हैं। जिस मामले को खोला गया है, उसे स्थानीय कोर्ट ने 2020 में बंद कर दिया था। जो पहला मामला गुरुवार को खोला गया, उसकी सुनवाई 1 जुलाई होगी। खास बात यह है कि इस मामले को उसी केस नंबर पर खोला गया जो केस नंबर 2020 में था।
यह मामला 25 सितंबर, 2020 को सिविल जज (सीनियर डिवीजन), मथुरा की अदालत में दायर किया गया था, लेकिन 30 सितंबर, 2020 को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि याचिकाकर्ताओं, ज्यादातर लखनऊ और पूर्वी यूपी के वकीलों को मुकदमा करने का कोई अधिकार नहीं था। इसलिए यह मामला चलने योग्य नहीं था।
अब याचिकाकर्ताओं ने जिला जज, मथुरा की अदालत में एक पुनरीक्षण दायर किया, जिसे शाही ईदगाह मस्जिद की प्रबंधन समिति सहित अन्य पक्षों द्वारा पुनरीक्षण अदालत में पेश होने के बाद रखरखाव के मुद्दे पर फैसला करना था। मस्जिद समिति ने उस समय दावा किया कि पूजा स्थल अधिनियम, 1991, ऐसे मामले पर विचार करने से रोक लगाता है।
18 सितंबर, 1991 को अधिनियमित पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 किसी भी पूजा स्थल में बदलाव को प्रतिबंधित करने और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र के रखरखाव के लिए प्रदान करने के लिए एक कानून है। इसमें कहा गया है कि किसी भी धार्मिक स्थल की जो स्थिति 15 अगस्त 1947 को थी, वो उसी तरह रहेगी। उसमें छेड़छाड़ नहीं की जा सकती।
इस मामले में याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि जिला जज की अदालत ने पुनरीक्षण की अनुमति देते हुए आदेश दिया कि मामला चलने योग्य है क्योंकि पूजा स्थल अधिनियम, 1991, किसी भी तरह से 'तथाकथित' समझौते में आड़े नहीं आता है। मामले को चुनौती दी जा सकती है। याचिकाकर्ता का मानना है कि इस मामले में 12.10.1968 को जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह के बीच धोखाधड़ी से समझौता किया गया था। यह केस 1967 के सूट नंबर 43 का हिस्सा था, इसकी कोई कानूनी वैधता नहीं है। क्योंकि श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, स्वामित्व और शीर्षक वाला, समझौते में पक्ष नहीं था।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि दीवानी जज (सीनियर डिवीजन) मथुरा की अदालत ने जिला जज, मथुरा के आदेश के अनुपालन में गुरुवार को मामले को बहाल कर दिया, और प्रतिवादी पक्ष को जवाब दाखिल करने के लिए मामले में अगली तारीख 1 जुलाई, 2022 तय कर दी है।
यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह मस्जिद की प्रबंधन समिति, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान मामले में प्रतिवादी है और अभी तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।
अपनी राय बतायें