लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाने से जुड़े विधेयक को मंगलवार देर शाम सदन में पेश करने के बाद सरकार ने कहा है कि वह इसे संसद की स्थायी समिति के पास विचार-विमर्श के लिए भेज देगी।
महिला व बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बाल विवाह निरोधक विधेयक, 2006, में संशोधन से जुड़ा विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह सभी धर्मों और समुदायों पर समान रूप से लागू होगा और विवाह से जुड़े सभी क़ानूनों और व्यक्तिगत क़ानूनों के ऊपर होगा।
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सभी धर्मों की सभी महिलाओं, वे हिन्दू विवाह अधिनियम या मुसलिम व्यक्तिगत क़ानून के तहत हों, सबको विवाह के मामले में बराबर का अधिकार मिलना चाहिए।
स्मृति ईरानी, महिला व बाल विकास मंत्री
जल्दबाजी क्यों?
कांग्रेस व दूसरे विपक्षी दलों ने विधेयक का विरोध करते हुए सवाल किया आखिर सरकार को इस पर इतनी जल्दबाजी क्यों है।
महिला व बाल विकास मंत्री ने विधेयक पेश करते हुए कहा, "हमने महिलाओं और पुरुषों को विवाह के लिए बराबरी का अधिकार देने में 75 साल की देरी कर दी। जो लोग सदन में शोर-शराबा कर रहे हैं, वे महिलाओं को उनके अधिकारों से दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।"
स्मृति ईरानी ने विवाह की उम्र में हुए तमाम संशोधनों का हवाला देते हुए बताया कि 1940 तक लड़कियों की शादी की उम्र 10 साल थी, जिसे बढ़ाकर 12 साल किया गया था। इसके बाद 1978 तक देश में 15 साल की उम्र में लड़कियों की शादियाँ होती रहीं।
विरोध
उन्होंने दावा किया कि देश में 2015 से 2020 के दौरान 20 लाख बाल विवाह रोके गए।
मंत्री ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि जिन लोगों को यह बिल धर्मनिरपेक्ष नहीं लगता, उन्हें सुप्रीम कोर्ट का 2010 का वह फैसला पढ़ना चाहिए, जिसमें कहा गया था कि यह धर्मनिरपेक्ष क़ानून है। अदालत ने यह भी कहा था कि मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड और हिंदू मैरिज ऐक्ट के तहत भी सभी महिलाओं को विवाह के मामले में समानता का अधिकार मिलना चाहिए।
कांग्रेस, टीएमसी, एआईएमआईएम, एनसीपी, डीएमके, बीजेडी और शिवसेना ने विधेयक का विरोध किया। कुछ सांसदों ने बिल के प्रावधानों पर ऐतराज जताया तो कुछ लोगों ने इसे पेश करने के तरीके का विरोध किया।
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18 साल की एक लड़की जब देश का प्रधानमंत्री चुन सकती है, लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकती है तो फिर उसका शादी का अधिकार क्यों छीना जा रहा है?
असदउद्दीन ओवैसी, नेता, एआईएमआईएम
स्थायी समिति
कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी, टीएमसी के सौगत रॉय, एनसीपी की सुप्रिया सुले, डीएमके के टीआर बालू और कनिमोड़ी विधेयक के ख़िलाफ़ बोले। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस बिल को संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए।
अंत में सरकार ने एलान किया कि इस विधेयक को स्थायी समिति के पास भेज दिया जाएगा।
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