मिजोरम में पीस एकॉर्ड एमएनएफ रिटर्नीज़ एसोसिएशन (PAMRA) ने राज्य में रहने वाले मैतेई लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए अपने गृह राज्य में लौटने के लिए कहा है। एसोसिएशन ने मणिपुर में दो महिलाओं की परेड और छेड़छाड़ की घटना के प्रति "मिज़ो युवाओं के बीच गुस्से" का हवाला दिया। इस घटनाक्रम के बाद मणिपुर सरकार ने कहा है कि जो मैतेई लोग मणिपुर आना चाहते हैं, उनके लिए फ्लाइट का इंतजाम है, वो आ सकते हैं।
द हिन्दू की खबर है कि मिजोरम की राजधानी आइजोल के पास के हवाई अड्डे लेंगपुई से फ्लाइट संचालित करने वाली एयरलाइन एजेंसियों के अधिकारियों ने कहा कि लगभग 60 लोगों ने इम्फाल के तुलिहाल हवाई अड्डे के लिए उड़ानें भरीं। इंफाल हवाईअड्डे के अधिकारियों ने कहा कि एलायंस एयर की उड़ान से 56 मैतेई मिजोरम से उतरे हैं। कहा जाता है कि काफी संख्या में मैतेई लोग बसों और टैक्सियों से आइजोल और मिजोरम के अन्य हिस्सों से चले गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि एन. बीरेन सिंह सरकार ने सड़क यात्रा से बचाने के लिए रविवार सुबह मिजोरम में बसे लोगों को फ्लाइट से लाने की व्यवस्था कर रही है।
मणिपुर सरकार के अनुमान के अनुसार, मिजोरम में लगभग 2,000 मैतेई मिजोरम में हैं। जिनमें मिजोरम यूनिवर्सिटी के शिक्षक भी शामिल हैं। उनमें से आधे मणिपुर से हैं जबकि अन्य आधे मुख्य रूप से दक्षिणी असम से हैं।
आइजोल से जारी बयान में पूर्व उग्रवादी संगठन ने कहा कि मणिपुर में उपद्रवियों द्वारा किए गए बर्बर और जघन्य कृत्यों के मद्देनजर मिजोरम में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है और मणिपुर के मैतेई लोगों के लिए मिजोरम में रहना अब सुरक्षित नहीं है। बता दें कि पीस एकॉर्ड एमएनएफ रिटर्न्स एसोसिएशन (PAMRA) पूर्व उग्रवादियों का एक संगठन है।
बयान में कहा गया है, "PAMRA मिजोरम के सभी मैतेई लोगों से अपील करता है कि वे सुरक्षा उपाय के तौर पर अपने गृह राज्य चले जाएं।" 4 मई को मणिपुर की दो कुकी महिलाओं को नग्न घुमाने का वीडियो बुधवार को सामने आया। जिसके बाद गुरुवार को कथित मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी हुई। इस घटना की देश भर में व्यापक निंदा हुई है। PAMRA के बयान में आगे कहा गया है कि मिज़ो युवा मणिपुर में ज़ो या कुकी जातीय लोगों के खिलाफ "मैतेई लोगों के बर्बर और नृशंस कृत्य" से नाराज और गहरी पीड़ा में हैं। पीएएमआरए ने आगे चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मैतेई मिजोरम छोड़ने में विफल रहते हैं तो उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाएगा। महासचिव सी लालथेनलोवा ने स्पष्ट किया कि यह एक सामान्य सुरक्षा अपील है, कोई आदेश या चेतावनी नहीं। उन्होंने मिजोरम में मैतेई समुदाय की सुरक्षा के लिए चिंता व्यक्त की।
लालथेनलोवा ने मीडिया से कहा, "हम बस किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए मैतेई लोगों से अपने राज्य में चले जाने की अपील कर रहे हैं। हम उन्हें कोई आदेश नहीं दे रहे हैं।"
मिजोरम के गृह आयुक्त और सचिव एच लालेंगमाविया ने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार मैतेई लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, जबकि पड़ोसी राज्य में बढ़ते तनाव के कारण पुलिस को भी सतर्क कर दिया गया है। उन्होंने कहा, "राज्य सरकार के प्रतिनिधियों ने मैतेई संगठनों के साथ बैठक की और उन्हें उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया।" मंत्री ज़ोरमथांगा ने मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह को मिज़ोरम में मैतेई लोगों की सुरक्षा के बारे में भी आश्वासन दिया था।
3 मई को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित होने के बाद से अब तक 160 से अधिक लोगों की जान चली गई है और कई अन्य घायल हो गए हैं।
मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि नागा और कुकी सहित आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
PAMRA मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के पूर्व उग्रवादियों का एक गैर-राजनीतिक संगठन है जो मिज़ो शांति समझौते की सभी धाराओं के कार्यान्वयन के लिए काम कर रहा है।
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