मॉनसून सत्र में लगातार व्यवधान के विरोध में विपक्षी सांसदों का एक समूह संसद भवन में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने बैठा है। नवगठित विपक्षी समूह 'इंडिया' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर में करीब तीन महीने से चल रही जातीय हिंसा पर व्यापक बयान देने की मांग कर रहा है। 'इंडिया फॉर मणिपुर' की तख्तियां लिए आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के सांसद रात 11 बजे मौन विरोध प्रदर्शन करते नजर आए। उन्होंने वहीं रात्रि विश्राम किया।
इससे पहले कांग्रेस ने कहा कि मणिपुर संकट पर दोनों सदनों में पीएम मोदी द्वारा "व्यापक बयान" की मांग को "लगातार इनकार" के कारण संसद नहीं चल पा रही है। कई विपक्षी सांसदों ने मणिपुर की स्थिति पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया। विपक्ष बिना किसी समय की पाबंदी के सभी दलों को बोलने की अनुमति देकर बहस चाहता है और 20 जुलाई को मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद से इस मुद्दे पर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है। सरकार ने विपक्ष पर इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस से भागने का आरोप लगाया है और इसके प्रति उनकी गंभीरता पर सवाल उठाया है।
विपक्ष ने भी सरकार पर यही आरोप लगाया है - यानी बहस से भागने का। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि सरकार असंवेदनशील है। उन्होंने कहा, "हमारी मांग है कि पीएम को सदन में आकर बयान देना चाहिए। हम उस बयान पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। आप बाहर बोल रहे हैं लेकिन अंदर नहीं, यह संसद का अपमान है। यह एक गंभीर मामला है।"
पिछले हफ्ते सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया गया जिसमें मणिपुर में दो आदिवासी महिलाओं को नग्न परेड करते हुए दिखाया गया था। बहरहाल, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि विपक्ष को बहानेबाजी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने (मॉनसून) सत्र से पहले ही संवेदनशीलता और दृढ़ता के साथ मणिपुर पर बयान दिया है। यह गलत है कि हमने प्रधानमंत्री के नाम का बहाना बनाकर चर्चा ही शुरू नहीं की।"
मणिपुर में अभी तक सात कुकी महिलाओं के साथ गैंगरेप की बात सामने आ चुकी है, जबकि वहां के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ऐसी सिर्फ एक घटना बता रहे हैं। आरोप है कि कुछ कुकी महिलाओं को रेप के बाद मार डाला गया, कुछ अभी भी गायब हैं। राज्य में करीब 6 हजार से ज्यादा एफआईआर तमाम हिंसक मामलों की दर्ज की गई है। जातीय हिंसा का आरोप मैतेई बहुसंख्यक समाज पर है।
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