कर्नाटक के मंगलुरु में एक ऑटो में हुए विस्फोट को पुलिस ने आतंकी घटना बताया है। ऑटो में विस्फोट शनिवार शाम को हुआ था। इसने आज कहा है कि अभियुक्त मोहम्मद शरीक़ आतंकी संगठन आईएसआईएस से प्रभावित था। पहले से ही कर्नाटक पुलिस कह रही है कि ऑटोरिक्शा में विस्फोट कोई हादसा नहीं था, बल्कि गंभीर नुक़सान पहुँचाने के इरादे से किया गया आतंकी कृत्य था। कर्नाटक की तरह ही तमिलनाडु के कोयंबटूर में भी कार धमाका हुआ था। तमिलनाडु सरकार की सिफारिश के बाद एनआईए मामले की जांच कर रही है। आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार दीपावली से पहले हुए उस विस्फोट में मारा गया 25 साल का युवक जमेशा मुबीन गिरफ्तार किए गए अपने पांच अन्य साथियों के साथ दक्षिण भारत में प्रमुख स्थानों पर बम धमाके करने की साजिश रच रहा था। यदि ये सब सच है तो क्या दक्षिण भारत के लिए यह चिंता की बात नहीं है?
ये चिंता मंगलुरु में ऑटो में हुए धमाके के मामले में पुलिस के बयान के बाद बढ़ेगी ही। मंगलुरु विस्फोट के मामले में कर्नाटक पुलिस ने सोमवार को कहा है कि अभियुक्त मोहम्मद शरीक़ आतंकी संगठन आईएसआईएस से प्रभावित था और वह उसके हैंडलर्स के संपर्क में रहने के लिए डार्क वेब का इस्तेमाल करता था। कर्नाटक पुलिस ने कहा है कि शरीक़ ने आईएसआईएस के कई हैंडलर्स के साथ काम किया था और इसमें से एक हैंडलर अल हिंद नाम के संगठन से जुड़ा था। अल हिंद भी आईएसआईएस से प्रभावित है।
पडिल-पंपवेल मेन रोड पर कंकनाडी टाउन पुलिस थाने के पास शनिवार शाम को करीब 5 बजे एक ऑटो में धमाका हुआ था।
धमाके में ऑटो ड्राइवर और शरीक़ झुलस गए थे। ऑटो ड्राइवर ने बताया था कि शरीक़ के बैग में कुछ ऐसा था जिसने आग पकड़ ली और इसने पूरे ऑटो को अपनी चपेट में ले लिया। पुलिस का कहना है कि शिमोगा जिले का रहने वाला शरीक़ एक प्रेशर कुकर में आईईडी ले जा रहा था।
कोयंबटूर विस्फोट के आरोपी से जो संकेत मिले थे वे तो और भी चिंताएँ पैदा करने वाली जान पड़ती हैं। रिपोर्टों में कहा गया है कि विस्फोट में मारा गया जमेशा मुबीन गिरफ्तार किए गए अपने पांच अन्य साथियों के साथ दक्षिण भारत में प्रमुख स्थानों पर बम धमाके करने की साजिश रच रहा था।
बताया जाता है कि मुबीन की मौत भी एक आत्मघाती हमला हो सकता है क्योंकि उसका आखिरी वाट्सएप स्टेटस भी मौत की 'उम्मीद' वाला था। जाँच दल के अनुसार मुबीन के घर से तलाशी के दौरान कोयंबटूर रेलवे स्टेशन का नक्शा, सिटी पुलिस कमिश्नर ऑफिस, कोयंबटूर कलेक्टरेट, रेस कोर्स और विक्टोरिया हाल के रोडमैप मिले थे। इससे कयास लगाए गए थे कि मुबीन और उसके साथी इन स्थानों पर कोई धमाका करने की साज़िश रच रहे थे।
कोयंबटूर में साल 1998 में सिलसिलेवार बम धमाका हुआ था। इस सिलसिले में 2018 में 20 वर्ष से फरार एक आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इन बम धमाकों में 58 लोग मारे गए थे। उस वक्त भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी शहर के दौरे पर थे। उन बम धमाकों में करीब 200 लोग घायल भी हुए थे। आडवाणी की चुनावी सभा जिस जगह होनी थी वहां पर भी विस्फोट हुआ था।
तमिलनाडु में ही एक और धमाका हुआ था जिसने पूरे देश को हिला दिया था। 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया था। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी मारे गए थे।
इस तरह के मामलों के बीच अब मंगलुरु और कोयंबटूर विस्फोट को लेकर पुलिस जिस तरह के हमले की बात कह रही है तो क्या दक्षिण भारत के लिए यह चिंता की बात नहीं है?
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