यह मानना ग़लत है कि रफ़ाल अगले आम चुनाव में कोई मुद्दा नहीं बन पाएगा। इसी तरह यह मानना भी सही नहीं होगा कि रफ़ाल मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कांग्रेस की ओर से लगाए गए आरोपों पर लोगों को यकीन नहीं है, वे इसे सही नहीं मानते हैं। हाल ही में न्यूज़ 18 और आईपीएसओएस के किए नेशनल ट्रस्ट सर्वे से पता चला है कि 55 प्रतिशत लोग यह मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में रफ़ाल एक मुद्दा होगा। इसी तरह 65 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि रफ़ाल सौदे में प्रधानमंत्री मोदी पर कांग्रेस के लगाए गए आरोप सही हैं।
इस सर्वे में लोगों से पूछा गया कि क्या वे यह मानते हैं कि रफ़ाल कोई चुनावी मुद्दा है? इसके जवाब में 55 प्रतिशत लोगों ने माना है कि हाँ, रफ़ाल एक चुनावी मुद्दा है, जबकि 29 प्रतिशत लोगों ने इसे चुनावी मुद्दा मानने से इनकार कर दिया है। इसके आलावा 16 प्रतिशत लोगों की कोई निश्चित राय नहीं है।
इसी तरह जब लोगों से यह पूछा गया कि क्या वे रफ़ाल मुद्दे पर मोदी पर कांग्रेस द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर विश्वास करते हैं, 43 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे काफ़ी मज़बूती से इन आरोपों को सही मानते हैं, जबकि 22 प्रतिशत लोग उतनी मज़बूती से ये आरोप सही नहीं मानते। वे उससे थोड़ा बहुत ही सहमत हैं। सिर्फ़ 19 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इन आरोपों से बिल्कुल असहमत हैं, जबकि 6 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे थोड़ा बहुत असहमत हैं। इस सर्वे से एक बात साफ़ है कि सिर्फ़ 25 प्रतिशत लोग मोदी पर लगे आरोपों को ग़लत मानते हैं, जबकि 65 प्रतिशत लोग सही मानते हैं। बाक़ी लोग इससे न तो सहमत हैं और न ही असहमत।
सर्वे में पाया गया है कि आंध्र प्रदेश में सबसे ज़्यादा 86 फ़ीसदी लोग यह मानते हैं कि कांग्रेस ने रफ़ाल मुद्दे पर जो आरोप मोदी पर लगाए हैं, वे सही हैं। सिर्फ 5 फ़ीसदी लोग इसे ग़लत मानते हैं।
आरोपों को सही मानने वाले लोगों की तादाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 83 फ़ीसदी है। सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में ऐसे लोगों की संख्या 56 फ़ीसदी और मोदी के गृह राज्य गुजरात में 58 फ़ीसदी है। लेकिन उत्तराखंड, जम्मू, गोवा और तेलंगाना में ज़्यादातर लोग इन आरोपों को ग़लत मानते हैं।
सर्वे में 75 फ़ीसदी लोगों ने कहा है कि यदि मोदी सरकार राम मंदिर पर अध्यादेश लाएगी तो वे उसका समर्थन करेंगे, सिर्फ़ 25 फ़ीसदी लोगों ने इसका विरोध किया है।
इसी तरह 74.3 फ़ीसदी लोगों ने माना कि राम मंदिर आम चुनाव में एक मुद्दा बनेगा, जबकि 25.7 फ़ीसदी लोगों ने इसे चुनावी मुद्दा मानने से इनकार किया।
एनडीए आगे
इस सर्वे में चुनाव के दौरान होने वाले मतदान के रुझान और संभावनाओं को भी तलाशा गया है। इससे एक साफ़ तसवीर उभर कर सामने आती है और राज्य-वार रुझान का भी पता चलता है।
सर्वे में पाया गया कि देश भर में 58 फ़ीसदी लोग बीजेपी की अगुआई वाले गठबंधन एनडीए और 42 फ़ीसदी लोग विपक्षी दलों के संभावित महागठबंधन को वोट देने के पक्ष में हैं। इससे यह तसवीर बनती है कि एनडीए मज़बूत स्थिति में है।
तेलंगाना को छोड़ पूरे दक्षिण भारत, पश्चिम बंगाल और पंजाब में ज़्यादातर लोग विपक्षी दलों के महागठबंधन को वोट करेंगे। आंध्र प्रदेश में 77.3 फ़ीसदी, केरल में 77.9 फ़ीसदी, कर्नाटक में 50.7 फ़ीसदी, तमिलनाडु में 76.3 फ़ीसदी, पश्चिम बंगाल में 63.2 फ़ीसदी और पंजाब में 54.6 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि वे अगले चुनाव में विपक्षी दलों को वोट देंगे। लेकिन सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 67.2 प्रतिशत लोग बीजेपी की अगुआई वाले गठबंधन एनडीए को वोट देंगे। बिहार, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल, हरियाणा, जम्मू, झारखंड जैसे राज्यों में ज़्यादातर लोग एनडीए को वोट देंगे।
कारण क्या है?
सर्वे से एनडीए की बढ़त की वजहें भी साफ़ हो जाती हैं। 41.7 फ़ीसदी लोग देश की आर्थिक प्रगति के कारण एनडीए को वोट देंगे तो 37.5 फ़ीसदी लोग इसलिए वोट देंगे कि नरेंद्र मोदी एनडीए के प्रधानमंत्री उम्मीदवार होंगे। 30.9 फ़ीसदी लोग इसलिए एनडीए को वोट देंगे कि वे सरकार के कामकाज से खुश हैं। लेकिन 19 फ़ीसदी लोगों को लगता है कि दूसरा कोई विकल्प नहीं है।आरएसएस का असर?
मोटे तौर पर माना जाता है कि बीजेपी की जीत में आरएसएस का समर्थन महत्वपूर्ण होता है। पर इस सर्वेक्षण से इसकी पुष्टि नहीं होती है।
यदि संघ ने बीजेपी उम्मीदवारों का समर्थन नहीं किया तो क्या होगा? 82.8 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि इससे उनके वोट देने के फ़ैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
जिन लोगों ने कहा कि आरएसएस के बीजपी को समर्थन नहीं देने की स्थिति में वे उसे वोट नहीं देंगे, उनमें से 12.5 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि वे कांग्रेस को वोट देंगे, जबकि 33.4 प्रतिशत लोगों ने किसी दूसरे दल को वोट देने की बात कही।
मोदी पर क्या राय है?
सर्वे में यह जानने की कोशिश भी की गई है कि प्रधानमंत्री के कामकाज पर लोगों का क्या कहना है।
सिर्फ़ 36 फ़ीसदी लोगों ने मोदी के कामकाज को अच्छा माना है। 21.4 फ़ीसदी लोगों ने उनके कामकाज को औसत और 18.7 फ़ीसदी लोगों ने उनके कामकाज को बुरा माना है। दूसरी ओर, 19.9 फ़ीसदी लोगों ने माना है कि मोदी ने बहुत ही अच्छा काम किया है।
प्रधानमंत्री कौन?
अब भी आधे से अधिक लोग नरेंद्र मोदी को ही अगला प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं। 52.8 प्रतिशत लोगों ने कहा कि मोदी उनकी पसंद हैं, जबकि सिर्फ़ 26.9 फ़ीसदी लोगों की पसंद राहुल गाँधी हैं। ममता बनर्जी और मायावती तो बहुत पीछे हैं। सिर्फ़ 4.2 फ़ीसदी लोग ममता और 2.8 फ़ीसदी लोग मायावती को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।
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