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टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा

महुआ मोइत्रा की पेशी कल, पैनल के क्रिमिनल क्षेत्राधिकार पर सवाल उठाए

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा ने बुधवार को कहा कि वह सवाल  के बदले रिश्वत मामले में पूछताछ के लिए इथिक्स पैनल के आदेश के अनुसार गुरुवार (2 नवंबर) को उसके सामने पेश होंगी। एक्स (ट्विटर) पर उन्होंने दो पन्नों का एक पत्र भी पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई से "जिरह" करने की मांग का उल्लेख किया। वकील ने ही सांसद पर संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगाया था।

सांसद महुआ मोइत्रा ने कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से जिरह करने की अपनी मांग भी दोहराई है। दर्शन ने एक "हलफनामे" में सांसद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए अडानी समूह के बारे में सवाल पूछने के लिए संसद का अपना लॉगिन विवरण साझा करने का आरोप लगाया था।

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मोइत्रा ने एक्स पर लिखा, "चूंकि इथिक्स कमेटी ने मीडिया को मेरा समन जारी करना उचित समझा, इसलिए मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि मैं भी गुरुवार को अपनी "सुनवाई" से पहले समिति को लिखा गया अपना पत्र जारी करूं।" पत्र में, टीएमसी सांसद ने कहा कि वह देहाद्राई और हीरानंदानी से जिरह करने की इच्छा को "रिकॉर्ड पर रखना" चाहती हैं। मोइत्रा ने लिखा है, "मैं रिकॉर्ड पर रखना चाहती हूं कि मैं समिति से अनुरोध कर रही हूं कि वह लिखित में जवाब दे और इस तरह की जिरह की अनुमति देने या अस्वीकार करने के अपने फैसले को रिकॉर्ड में रखे।"

Mahua Moitra's appearance tomorrow, questions raised on panel's criminal jurisdiction - Satya Hindi

महुआ मोइत्रा ने सवाल किया कि क्या इथिक्स पैनल इस तरह की कथित आपराध की जांच करने के लिए सही मंच है, यह दावा करते हुए कि केवल कानूनी जांच एजेंसियां ​​ही जांच कर सकती हैं। मोइत्रा ने कहा कि अगर इथिक्स पैनल किसी विभाग से मांगी गई किसी रिपोर्ट पर भरोसा करता है, तो उन्हें दस्तावेज़ की एक प्रति भी दी जानी चाहिए और संबंधित विभाग से जिरह करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

टीएमसी सांसद, जिन्होंने पहले अपने पूर्व निर्धारित विजयादशमी कार्यक्रमों का हवाला देते हुए 5 नवंबर के बाद समन की तारीख का अनुरोध किया था, ने कहा कि यह "बेहद आश्चर्यजनक" है कि पैनल ने इसे अस्वीकार कर दिया। उन्होंने भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी का उदाहरण दिया, जिन्हें लोकसभा की विशेषाधिकार समिति ने 10 अक्टूबर को बसपा सांसद दानिश अली के साथ अभद्र भाषा विवाद पर तलब किया था, लेकिन बाद में बिधूड़ी के अनुरोध पर उन्हें उनके अनुसार उन्हें पेश होने की अनुमति दी गई थी।

महुआ ने इस "दोहरा स्टैंडर्ड" बताते हुए कहा कि बिधूड़ी के उदाहरण से "राजनीतिक उद्देश्यों" की बू आती है और इससे विशेषाधिकारों और नैतिकता पैनलों की विश्वसनीयता को समझा जा सकता है।

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बता दें कि यह सारा विवाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के स्पीकर को लिखे उस पत्र से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने एक वकील के पत्र का हवाला देते हुए मोइत्रा पर सदन में सवाल पूछने के लिए कथित तौर पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया। सुप्रीम कोर्ट के वकील ने अपने पत्र में कहा कि उनके पास पीएम मोदी को निशाना बनाने के लिए रियल एस्टेट समूह हीरानंदानी ग्रुप के प्रतिद्वंद्वी अडानी ग्रुप के बारे में सवाल पूछने के बदले में टीएमसी सांसद द्वारा हीरानंदानी से रिश्वत लेने के "अकाट्य सबूत" हैं। हालांकि महुआ मोइत्रा ने निशिकांत दुबे की कथित फर्जी एमबीेए डिग्री का मामला उठाया था। दुबे की डिग्री का मामला कोर्ट में भी पहुंचा था। उसके बाद निशिकांत दुबे टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को लगातार घेर रहे हैं। महुआ अडानी समूह को भी कटघरे में खड़ा कर चुकी हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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