वोट फॉर डेमोक्रेसी की रिपोर्ट में लोकसभा 2024 के चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरुआती मतदान के आंकड़ों से लेकर अंतिम मतदान के आंकड़ों तक 4.65 करोड़ वोटों की हेराफेरी से देश के 15 राज्यों में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 79 सीटें मिलीं। हेरफेर के कारण वोटों की बढ़ोतरी के जरिए महाराष्ट्र में 11 लोकसभा क्षेत्रों को एनडीए ने जीत लिया। यानी अगर वोटों की हेराफेरी न होती तो महाराष्ट्र में 9 लोकसभा सीट जीतने वाली भाजपा एक भी सीट नहीं जीत पाती। महाराष्ट्र में लोगों के गुस्से ने भाजपा और अजीत पवार की एनसीपी को ठिकाने लगा दिया।
- प्रारंभिक वोटों की गिनती और अंतिम वोटों की गिनती के बीच लगभग 5 करोड़ वोटों की विसंगति।
- रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वोटों में बढ़ोतरी के माध्यम से 15 राज्यों में कम से कम 79 सीटें एनडीए/बीजेपी द्वारा जीती जा सकती थीं, जिसका अर्थ है कि यदि यह सच है, तो इंडिया गठबंधन के पास संसद में अधिकतम सीटें होंतीं।
- ईसीआई ने पूरे 7 चरणों में अंतिम मतदान प्रतिशत के प्रकाशन में देरी की, जो फिर से गंभीर चिंता पैदा करता है। यदि रिपोर्ट ग़लत है, तो @ECISVEEP (केंद्रीय चुनाव आय़ोग) को0 इस पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों के डगमगाते विश्वास को बहाल करना चाहिए। लेकिन अगर रिपोर्ट में कही गई बात सच है तो भारतीय लोकतंत्र के राजनीतिक इतिहास में अहम मोड़ आ रहा है।
A report by *Vote for Democracy* titled “Conduct of Lok Sabha Elections 2024” has made some shocking revelations that can shake the trust of people in our democracy. The report claims the following:
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) July 27, 2024
▪️A discrepancy of nearly 5 crores votes between the initial votes counted and…
रिपोर्ट में मतदान और गिनती के दौरान वोट में हेरफेर और विसंगति का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट में चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी के साथ-साथ चुनाव में डाले गए कुल वोटों और गिने गए कुल वोटों के बीच विसंगतियों के बारे में गंभीर चिंताएं जताई गईं।
वोट फॉर डेमोक्रेसी ने चुनाव परिणामों और मतदाता मतदान प्रतिशत का न्यूमेरिकल (संख्यात्मक) विश्लेषण किया। सात चरणों में प्रारंभिक मतदान आंकड़ों से लेकर अंतिम मतदान आंकड़ों तक 4,65,46,885 वोट चुनाव आयोग ने बढ़ाए। यह बढ़ोतरी दर करीब 3.2% से लेकर 6.32% तक सभी निर्वाचन क्षेत्रों में दर्ज की गई। इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि वोट प्रतिशत का यह अंतर आंध्र प्रदेश में 12.54% और ओडिशा में 12.48% तक जा पहुंचा। दोनों राज्यों में सरकार बदली और भाजपा के घटक दल को सीटें मिलीं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मतदान प्रतिशत के बाद हुई बढ़ोतरी से सत्तारूढ़ सरकार यानी एनडीए को फायदा हुआ है।
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि वोट प्रतिशत में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए को 79 सीटें मिलीं। इसमें ओडिशा की 18, महाराष्ट्र की 11, पश्चिम बंगाल की 10, आंध्र प्रदेश की 7, कर्नाटक की 6, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की 5-5, बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश और तेलंगाना की 3-3, असम की 2 और अरुणाचल प्रदेश, गुजरात और केरल की एक सीट शामिल है।
आईआईएम अहमदाबाद के रिटायर्ड प्रोफेसर और भारत के चुनावों की निगरानी के लिए स्वतंत्र पैनल के सदस्य सेबेस्टियन मॉरिस ने कहा, “इन 79 लोकसभा क्षेत्रों में, वोटों में वृद्धि की तुलना में जीत का अंतर बहुत कम है। इन सीटों का पैटर्न कहता है कि अंतर बहुत बड़ा है, बदलाव लंबे समय के बाद आया है और यह उन निर्वाचन क्षेत्रों में देखा गया है जहां कड़ी लड़ाई थी। मुझे लगता है कि एक बहुत बड़ा पूर्वाग्रह है जो सामने आया है।''
रिपोर्ट जारी होने के बाद लगभग 25 सिविल सोसाइटी संगठनों ने भारत के चुनाव आयोग को एक नोटिस जारी कर कथित अनियमितताओं, वोटों में हेरफेर, आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की जांच की मांग की। नोटिस में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में पक्षपात, पंजीकरण और गिनती में हेराफेरी, चुनाव तारीखों का अतार्किक और अराजक समय-निर्धारण, वोटिंग एजेंटों को फॉर्म 17सी उपलब्ध नहीं कराने और वोटर टर्नआउट जारी करने में देरी की शिकायतों पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
वोट फॉर डेमोक्रेसी की तीस्ता सीतलवाड ने कहा, “महाराष्ट्र में सीटों की संख्या दूसरी सबसे अधिक है, जहां शुरुआती और अंतिम मतदान में भारी बढ़ोतरी देखी गई। मतदान के साथ-साथ मतगणना के दिन भी चुनाव आयोग का आचरण बेहद संदिग्ध रहा। हम मान रहे हैं कि यह बढ़ोतरी जानबूझकर की गई है क्योंकि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से संबंधित कानून में बहुत आंशिक संशोधन किया गया था।'
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