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बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव, उनकी पत्नी और बेटी बुधवार को कोर्ट में पेश हुए।

लालू यादव, राबड़ी देवी और मीसा को कथित करप्शन केस में जमानत मिली

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनकी बेटी मीसा भारती को भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई अदालत ने आज बुधवार 15 मार्च को जमानत दे दी। मामले की अगली सुनवाई 29 मार्च को होगी। लालू यादव तीन महीने पहले सिंगापुर में गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद पहली बार अदालत में पेशी के लिए व्हीलचेयर पर पहुंचे थे। 

लालू यादव और राबड़ी देवी, दोनों पूर्व मुख्यमंत्री, और उनके कुछ बच्चे, जिनमें बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी शामिल हैं, की जांच कथित जमीन के बदले नौकरी घोटाले में की जा रही है। यादव और उनके परिवार के सदस्यों पर 2004 से 2009 तक केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान नौकरियों के बदले जमीन सस्ते में खरीदने का आरोप है। सीबीआई ने अपने चार्जशीट में आरोप लगाया है कि नियमों का उल्लंघन कर रेलवे में ''अनियमित नियुक्तियां'' की गईं। आरोप है कि इसके एवज में जिन लोगों को नौकरियां मिलीं, उन्होंने यादवों को अत्यधिक रियायती दरों पर जमीनें बेचीं।

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लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार के आरोप हैं। पिछले साल जुलाई में सीबीआई ने भोला यादव को गिरफ्तार किया था, जो लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान उनके ओएसडी थे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बयान में कहा है कि लालू यादव के परिवार द्वारा नौकरियों के बदले कथित रूप से अधिग्रहीत भूमि का वर्तमान बाजार मूल्य लगभग 200 करोड़ रुपये है। प्रवर्तन निदेशालय ने संपत्ति सूचीबद्ध की है कि यह आरोप है कि यादव के परिवार ने दिल्ली, पटना, मुंबई और रांची में 24 स्थानों पर तलाशी के बाद अधिग्रहण किया था। 

तमाम मीडिया रिपोर्ट में केंद्रीय एजेंसियों के हवाले से कहा गया था कि उसे यादव के परिवार के सदस्यों के नाम पर 1 करोड़ रुपये नकद, 1,900 डॉलर की विदेशी मुद्रा, 540 ग्राम सोना बुलियन, 1.5 किलोग्राम से अधिक सोने के आभूषण और 1.25 करोड़ रुपये की संपत्ति के दस्तावेज मिले। लेकिन किसी एजेंसी ने इस संबंध में आधिकारिक बयान जारी नहीं किया। तेजस्वी यादव के दिल्ली स्थित घर पर सीबीआई ने इस सप्ताह की शुरुआत में तलाशी ली थी। ईडी ने उनकी बहन रागिनी यादव और अन्य से जुड़ी संपत्तियों की भी तलाशी ली। उसके बाद कथित बरामदगी की खबरें मीडिया में आईं। जिसे तेजस्वी यादव ने चुनौती भी दी। किसी भी जांच एजेंसी ने तेजस्वी की की चुनौती का जवाब नहीं दिया। तमाम पोर्टल और अखबार अभी भी भारी बरामदगी की खबरें दे रहे हैं लेकिन किसी एजेंसी का बयान नहीं आ रहा।

तेजस्वी यादव के करीबी सूत्रों ने इस कदम के समय की आलोचना करते हुए कहा था कि उन्होंने भाजपा से इस तरह की प्रतिशोध की राजनीति की कभी उम्मीद नहीं की थी जब उनकी पत्नी बच्चे की उम्मीद कर रही थी। उनकी बहन ने कहा कि उनके परिवार को केवल इसलिए "यातना" दी जा रही है क्योंकि उनका परिवार "फासीवादियों और दंगाइयों" के सामने कभी नहीं झुका। आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर चल रही राजनीतिक जंग के बीच पिछले हफ्ते आठ विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उन्हें निशाना बनाने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। कांग्रेस ने अलग से बयान देकर इन छापों की निन्दा की थी।

कथित घोटाला 2004 और 2009 के बीच हुआ था जब लालू यादव रेल मंत्री थे। चार्जशीट में आरजेडी प्रमुख के अलावा तत्कालीन रेलवे महाप्रबंधक का नाम भी शामिल है।

सीबीआई ने कहा है कि जांच से पता चला है कि उम्मीदवारों को उनकी नियुक्ति के लिए किसी एवजी (स्थानापन्न) की आवश्यकता के बिना विचार किया गया था और उनकी नियुक्ति के लिए कोई जरूरत नहीं थी जो एवजी लोगों की नियुक्ति के पीछे मुख्य मानदंडों में से एक था। लेकिन उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी गई और बाद में उन्हें नियमित कर दिया गया। अभ्यर्थियों के आवेदन पत्रों और संलग्न दस्तावेजों में कई विसंगतियां पायी गयी। उनकी नियुक्ति स्वीकृत नहीं होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा किया गया।

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इसके अलावा, अधिकांश मामलों में, उम्मीदवारों ने अपने संबंधित डिवीजनों में बाद की तारीखों में अपनी नौकरी ज्वाइन की, जिससे एवजी लोगों की नियुक्ति का उद्देश्य विफल हो गया और कुछ मामलों में, उम्मीदवार आवश्यक श्रेणी के तहत अपनी मेडिकल परीक्षा पास नहीं कर सके।

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क़मर वहीद नक़वी
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