क्या भारत चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारियों में जुटा हुआ है। अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, भारत सरकार में इस बात को लेकर सहमति बन रही है कि ड्रैगन के साथ बातचीत तो जारी रहनी चाहिए लेकिन ज़रूरत पड़ने पर सैन्य कार्रवाई के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच बीते कई दिनों से भारत ने बॉर्डर पर अपनी तैयारियां तेज़ कर दी हैं। भारत के लड़ाकू विमान सुखोई, मिग, अपाचे और चिनूक सीमा पर लगातार उड़ान भर रहे हैं।
इसके अलावा भारत अपने मारक योद्धा भीष्म टैंक सहित युद्ध में दुश्मन की सांसें उखाड़ देने वाले बाक़ी साजो-सामान और जवानों को भी सीमा पर तैनात कर रहा है। भारत-चीन सीमा विवाद पर देखिए वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का वीडियो -
इस शीर्ष अधिकारी ने अख़बार की ओर से यह पूछे जाने पर कि सैन्य संघर्ष के क्या परिणाम हो सकते हैं, क्या सरकार इस बारे में विचार कर रही है, उन्होंने कहा, ‘सरकार का यह मत है कि अगर आप परिणामों के बारे में सोचेंगे तो आप आगे नहीं बढ़ पाएंगे।’
ड्रैगन का अड़ियल रूख़
भारत सरकार के इस रूख़ के पीछे अहम कारण चीन के रवैये को बताया गया है। क्योंकि भारत के 20 जवानों की शहादत के बाद भी बीजिंग की ओर से सांत्वना का एक शब्द तक नहीं आया। उल्टा वह भारत को ही इस झड़प के लिए जिम्मेदार बता रहा है।
शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘चीन जो करने के लिए कह रहा है, उस पर भी वह अमल नहीं कर रहा है। उसका अब तक यही कहना है कि भारत की ग़लती है और निर्माण के काम के लिए भारत जिम्मेदार है।’
अख़बार ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि अप्रैल के महीने में जब चीन की ओर से निर्माण किए जाने की ख़बरें आई थीं, तभी उस इलाक़े में पेट्रोलिंग और रेकी बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे। प्रधानमंत्री के भारत की सीमाओं में कोई नहीं घुसा है, के बयान पर शीर्ष अधिकारी ने कुछ ज़्यादा कहने से इनकार कर दिया।
अगर युद्ध होता है तो चीन के साथ आर्थिक संबंधों पर क्या असर होगा, सरकार को व्यापार के मामलों में सलाह देने वाले एक अन्य शीर्ष अधिकारी ने इस सवाल के जवाब में अख़बार से कहा, ‘इस बारे में कोई फ़ैसला करना आसान नहीं है लेकिन भारत में चीन के ख़िलाफ़ जबरदस्त माहौल है।’ उन्होंने कहा कि इसलिए भारत के पास कूटनीतिक और सैन्य ताक़त के रास्ते आगे बढ़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
उन्होंने कहा कि भारत अब 1962 का देश नहीं है और इसके विश्व में दूसरे देशों के साथ अच्छे संबंध हैं और हमें इसका फायदा उठाना होगा। उन्होंने कहा कि चीन ख़ौफ़ पैदा करना चाहता है और ख़ुद को सुपर पावर के रूप में स्थापित करना चाहता है।
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