मणिपुर संकट को हल करने के लिए केंद्र सरकार
ने बुधवार को कुकी समूहों के साथ बातचीत की। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले
से यह जानकारी दी। खबर है कि आईबी के नॉर्थ ईस्ट प्रभारी और पूर्व अतिरिक्त निदेशक
अक्षय मिश्रा ने सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) समझौते के तहत कुकी आतंकवादी समूहों के
प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की।
केंद्र की ओर से एक आईबी अधिकारी के साथ
मणिपुर इंटीग्रिटी के लिए समन्वय समिति (COCOMI) के प्रतिनिधियों के साथ एक अलग दौर की बातचीत
भी हुई। COCOMI एक मैतेई नागरिक संगठन है।
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इस संगठन ने मंगलवार को
एक बयान जारी किया था कि सरकार को कुकी समूहों से बात नहीं करनी चाहिए क्योंकि वे
"राज्य में जारी हिंसा के लिए ज़िम्मेदार हैं।" जबकि कुकी समूहों के साथ बातचीत पिछले कई महीनों से चल
रही है और मई से राज्य में अशांति फैलने से पहले कुकी शांति समझौते को लगभग अंतिम
रूप दे दिया गया था। मणिपुर में हिंसा की शुरुआत के बाद कई दौर की बातचीत हुई है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सूत्रों ने कहा कि मई में बातचीत आदिवासी आत्मनिर्णय के मुद्दे का राजनीतिक समाधान खोजने पर केंद्रित थी, लेकिन मौजूदा दौर की बातचीत राज्य में चल रही हिंसा को खत्म करने के तरीके खोजने पर केंद्रित है। सरकारी सूत्र ने कहा- “यह राजनीतिक बातचीत करने का सही समय नहीं है। फिलहाल ध्यान इस बात पर है कि राज्य में हिंसा को अगर तुरंत नहीं तो धीरे-धीरे कम किया जाए। एक अलग प्रशासन की कुकी की मांग पर फिलहाल चर्चा नहीं की जा रही है।''
गृह मंत्रालय मैतेई पक्ष का समाधान खोजने के
लिए मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह के साथ भी लगातार संपर्क में है। सूत्रों ने कहा
कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के कारण ही घाटी के सीमांत क्षेत्रों में बंकरों को
नष्ट करने के सुरक्षा बलों के अभियान को मैतेई लोगों के बहुत अधिक प्रतिरोध का
सामना नहीं करना पड़ा। इस कदम का COCOMI ने भी समर्थन किया था। हालांकि कुकी समूहों ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया
था।
आईबी के अधिकारियों के हवाले से सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि “इस बातचीत का कुछ प्रभाव पड़ा है। पिछले कुछ दिनों में हिंसा का स्तर थोड़ा कम हुआ है, हालांकि सीमांत इलाकों से लगभग हर दिन गोलीबारी और आगजनी की छिटपुट घटनाएं सामने आ रही हैं। दो महिलाओं की नग्न परेड के वायरल वीडियो ने मणिपुर संकट को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा दिया है।
सूत्रों ने कहा कि राजनीतिक मोर्चे पर हालांकि निकट भविष्य में कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है। बातचीत में शामिल एक ग्रुप के नेता ने सूत्रों को बताया कि “कुकी एक अलग प्रशासन पर अड़े हुए हैं, जबकि सीएम यथास्थिति की वकालत कर रहे हैं। फिलहाल, इनमें से कोई भी समाधान व्यावहारिक नहीं है। मौजूदा स्थिति को देखते हुए कुकियों को अलग प्रशासन देने से मैतेई नाराज हो जाएंगे। कुकी यथास्थिति को स्वीकार नहीं करेंगे। हिंसा ख़त्म होने के बाद ही, शायद, दोनों पक्ष एक-दूसरे को सुन पाएंगे।”
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इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक विशेष रूप से, कुकी-ज़ोमी
विद्रोही समूहों के साथ राजनीतिक समझौते का एक फॉर्मूला इस साल अप्रैल के अंत तक
तैयार किया गया था। शांति वार्ता मणिपुर की जनजातियों की 'प्रादेशिक
परिषद' बनाने के मॉड्यूल पर तय हुई थी। कुकी समूहों ने मांग की थी कि कुकी-ज़ोमी और
नागा जनजातियों के प्रभुत्व वाले 10 पहाड़ी जिलों को दो क्षेत्रीय परिषदों में
विभाजित किया जाए - एक नागाओं के लिए और दूसरा कुकी-ज़ोमी समूहों के लिए। बीरेन
सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि दस क्षेत्रीय परिषदें
होंगी - हर जिले के लिए एक। केंद्र ने 2-2-1 के विभाजन का प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव
को ज़ोमी विद्रोही समूहों ने समर्थन दिया था।
हालाँकि, यह अब चर्चा से बाहर है क्योंकि मैतेई इसका
विरोध कर रहे हैं और कुकी पूरी तरह से अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं।
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