लखीमपुर खीरी की घटना के विरोध में किसानों के द्वारा बुलाए गए रेल रोको आंदोलन का ख़ासा असर देखने को मिला। देश भर में 160 से ज़्यादा ट्रेनों पर इसका असर हुआ। इनमें से अधिकतर ट्रेनें राजस्थान-पंजाब हरियाणा के रूट की हैं।
दो ट्रेनों को रद्द करना पड़ा जबकि 13 ट्रेनें आंशिक रूप से रद्द हुई हैं। ट्रेनों के लेट होने की वजह से यात्रियों को प्लेटफ़ॉर्म पर इंतजार करना पड़ा। लखनऊ में पुलिस ने धारा 144 लागू कर दी है। अमृतसर और कई जगहों पर किसान रेलवे ट्रैक पर बैठ गए।
किसान नेताओं ने फिर से मांग की कि लखीमपुर खीरी की घटना के मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा के पिता और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को मोदी कैबिनेट से हटाया जाए और उनकी गिरफ़्तारी हो।
इस घटना के बाद से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में किसान और विपक्ष सड़कों पर है।रेल रोको आंदोलन के बाद 26 अक्टूबर को लखनऊ में मुज़फ्फरनगर की महापंचायत की तर्ज पर रैली की जाएगी।
इस बीच, लखीमपुर की घटना में मारे गए किसानों की अंतिम अरदास के बाद बाद किसानों के शरीर की राख को उत्तर प्रदेश के सभी जिलों, पंजाब के गुरुद्वारों और देश के सभी राज्यों में ले जाया जा रहा है।
बैकफुट पर है बीजेपी
लखीमपुर की घटना के बाद उत्तर प्रदेश में बीजेपी पूरी तरह बैकफ़ुट पर है। प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का यह बयान कि हम नेतागिरी में किसी को फ़ॉर्च्यूनर से कुचलने नहीं आए हैं, इससे पता चलता है कि पार्टी अजय मिश्रा टेनी और उनके बेटे के कारण मुसीबत में फंस गई है।लखीमपुर खीरी की घटना के विरोध में महाराष्ट्र विकास अघाडी सरकार में शामिल तीनों दलों की ओर से बुलाए गए महाराष्ट्र बंद का खासा असर दिखा था। कांग्रेस ने बीते सोमवार को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी को लेकर मौन व्रत रखा था। ख़ुद प्रियंका गांधी लखनऊ में मौन व्रत पर बैठी थीं। विपक्ष ने जिस तरह इस घटना को लेकर बीजेपी के ख़िलाफ़ हल्ला बोल दिया है, उससे योगी सरकार बुरी तरह घिर गई है।
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