लखीमपुर खीरी में गाड़ी से किसानों को कुचल डालने की बर्बर घटना के बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में किसान और विपक्ष आंदोलित है। किसानों की मांग है कि 11 अक्टूबर तक आशीष मिश्रा को गिरफ़्तार किया जाए और उनके पिता अजय मिश्रा टेनी को मोदी कैबिनेट से हटाया जाए।
अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर 18 अक्टूबर को सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक रेल रोको आंदोलन किया जाएगा। इसके बाद 24 अक्टूबर को लखनऊ में मुज़फ्फरनगर की महापंचायत की तर्ज पर रैली की जाएगी।
लखीमपुर में इकट्ठे हों
किसान नेताओं ने आह्वान किया है कि सभी आंदोलनकारी किसान 12 अक्टूबर को लखीमपुर के तिकुनिया में इकट्ठे हों। उस दिन लखीमपुर की घटना में मारे गए किसानों की अंतिम अरदास है। इसके बाद किसानों के शरीर की राख को उत्तर प्रदेश के सभी जिलों, पंजाब के गुरुद्वारों और देश के सभी राज्यों में ले जाया जाएगा।
इसके बाद दशहरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पुतले जलाए जाने की भी योजना है।
किसान नेताओं का कहना है कि लखीमपुर खीरी की घटना के बाद लोगों में जबरदस्त ग़ुस्सा है लेकिन सरकार उन लोगों को बचा रही है जो इस घटना के अभियुक्त हैं।
बताना होगा कि किसानों को रौंद डालने का वीडियो सामने आ चुका है और कहा जा रहा है कि किसानों को रौंदने वाली गाड़ियों में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा भी थे। हालांकि केंद्रीय मंत्री और उनके बेटे ने इससे इनकार किया है और इस तरह के आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि वह यूपी सरकार की ओर से इस मामले की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी को खारिज करता है। मोर्चा ने कहा कि इस मामले में निष्पक्ष जांच की जरूरत है।
किसान नेताओं ने कहा है कि घटना में मारे गए किसानों के शरीर की राख को कलश यात्रा के जरिये 10 दिन के वक़्त में देश भर में ले जाया जाएगा। किसान नेताओं का कहना है कि बीजेपी ने पहले भी किसानों को कुचलने की कई कार्रवाई की और अब वह उनकी हत्या कर रही है।
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