केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों ने 26 मई को देशव्यापी प्रदर्शन का एलान किया है। इस दिन किसानों के प्रदर्शन को 6 महीने पूरे हो जाएंगे। इस दिन मोदी सरकार के कार्यकाल के भी 7 साल पूरे हो जाएंगे। किसानों ने कहा है कि वे इस दिन को ‘काला दिन’ के तौर पर मनाएंगे। उधर, 12 विपक्षी दलों ने एक संयुक्त बयान जारी कर किसानों के देशव्यापी प्रदर्शन को समर्थन दिया है। समर्थन देने वालों में चार राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हैं।
किसानों ने 26 नवंबर से दिल्ली के बॉर्डर्स पर अपना आंदोलन शुरू किया था। इसके बाद किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा के बाद से सरकार और किसानों के बीच बातचीत बंद है।
काले झंडे लगाने की अपील
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बलबीर सिंह राजेवाल, जगजीत सिंह दल्लेवाल ने लोगों से अपील है कि अपने घरों, दुकानों, वाहनों समेत सोशल मीडिया पर काले झंडे लगाकर मोदी सरकार का विरोध करें। उन्होंने कहा कि इस मुहिम का देश की ट्रेड यूनियन, छात्र संगठन व तमाम जनवादी संगठन खुलकर समर्थन कर रहे हैं। किसान नेताओं ने इस दिन मोदी सरकार के पुतले जलाने का भी आह्वान किया है। इससे पहले किसानों ने भारत बंद भी बुलाया था।
किसानों का जमावड़ा बढ़ा
बीते कुछ दिनों में सिंघु बॉर्डर पर एक बार फिर किसानों का जमावड़ा बढ़ा है। करनाल व आसपास के किसानों का यह काफिला किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्व में सिंघु बॉर्डर पहुंचा है। फसल की कटाई के सीजन के बाद किसान लगातार दिल्ली की सीमाओं पर लौट रहे हैं। इसके अलावा पंजाब के कई इलाक़ों से किसान आंदोलन स्थल पर लौट रहे हैं।
इन विपक्षी नेताओं ने मांग की है कि केंद्र सरकार तुरंत इन कृषि क़ानूनों को रद्द करे और स्वामीनाथन कमेटी की सिफ़ारिशों के हिसाब से एमएसपी को लेकर क़ानून बनाए।
किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की ओर से 12 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ख़त भी लिखा गया था। इमसें एक बार फिर कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग की गई थी जिससे किसान अपना आंदोलन ख़त्म कर फ़सल उगाने के काम में जुट सकें। इन नेताओं ने मांग की थी कि केंद्र सरकार अपना हठ छोड़े और इन मुद्दों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा से फिर से बातचीत शुरू करे।
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