My reactions to the ordinance passed by central govt. https://t.co/J98kB4H7Wj
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 20, 2023
दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सेवाओं पर केंद्र सरकार का अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट की सीधी अवमानना है, वे आप सरकार के काम में बाधा डालना चाहते हैं। केजरीवाल ने सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली के उपराज्यपाल को वापस देने वाले अध्यादेश को लेकर शनिवार को केंद्र पर जबरदस्त निशाना साधा। सीएम ने कहा कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी और यह अब शीर्ष अदालत और केंद्र सरकार के बीच की लड़ाई है। केजरीवाल ने दो हजार के नोट वापस लिए जाने को लेकर भी मोदी सरकार पर हमला बोला। .
केजरीवाल ने आरोप लगाया कि केंद्र का अध्यादेश उच्चतम न्यायालय की सीधी अवमानना है। जिसने हाल ही में फैसला सुनाया था कि दिल्ली सरकार का उसके दायरे में आने वाले विभागों को सौंपे गए नौकरशाहों पर नियंत्रण है। केजरीवाल ने विवादास्पद अध्यादेश के समय पर भी सवाल उठाया, यह इंगित करते हुए कि शीर्ष अदालत के अवकाश के लिए बंद होने के कुछ ही घंटों बाद राष्ट्रपति द्वारा इसे घोषित किया गया था।
उन्होंने आज एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "केंद्र का अध्यादेश असंवैधानिक और लोकतंत्र के खिलाफ है। हम इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। बता दे कि शीर्ष अदालत के अवकाश के लिए बंद होने के कुछ ही घंटे बाद सेवाओं के मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने के लिए केंद्र की मोदी सरकार अध्यादेश लाई थी।"
अध्यादेश को संघीय ढांचे पर हमला बताते हुए केजरीवाल ने कहा कि हम विपक्षी दलों के नेताओं से मिलेंगे कि विधेयक राज्यसभा से पारित नहीं हो। पूरी लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट बनाम केंद्र है। यह बेहद खतरनाक है। इस तरह से केंद्र सरकार किसी भी प्रतिकूल फैसले को नकारने के लिए अध्यादेश लाएगी, क्योंकि उनके पास बहुमत है।
अध्यादेश राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम, 1991 में बड़े संशोधन करके "सेवाओं" पर केंद्र सरकार की शक्ति को बहाल करता है। इसने उपराज्यपाल (एलजी) की स्थिति को भी मजबूत किया, जिससे उन्हें अंतिम प्राधिकारी माना जाता है जो नौकरशाहों के स्थानांतरण और नियुक्ति से संबंधित मामलों को तय करने में अपने "एकमात्र विवेक" से कार्य कर सकते हैं।
हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने जोर देकर कहा कि दिल्ली में अधिकारियों के तबादले और पोस्टिंग के संबंध में केंद्र का अध्यादेश "पारदर्शिता और जवाबदेही" सुनिश्चित करने के लिए लाया गया था।
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