दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को बीजेपी की बुलडोजर नीति पर तीखा हमला किया। सीएम ने ट्विटर पर कहा कि जिस तरह बीजेपी दिल्ली में लोगों की दुकानों और घरों पर बुलडोजर चला रही है वह सही नहीं है। उन्होंने इसे स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी तबाही बताते हुए कहा कि 63 लाख लोग बेघर हो जाएंगे। क्योंकि बीजेपी उनके घरों या दुकानों पर बुलडोजर चला सकती है।
बाद में पत्रकारों से बातचीत में केजरीवाल ने कहा, दिल्ली में अतिक्रमण के खिलाफ एमसीडी बुलडोजर चला रही है। लेकिन 2 बातें जरूरी हैं। एक, दिल्ली का 80% हिस्सा अतिक्रमण के दायरे में आ जाएगा। दूसरा, लोगों द्वारा अपने कागजात दिखाने के बाद भी बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। यह सही नहीं है। वे झोंपड़ी कॉलोनियों और दिल्ली की झुग्गियों को तोड़ने की योजना बना रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 63 लाख लोगों पर बुलडोजर चल सकते हैं, उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने झुग्गी-झोपड़ियों में घर उपलब्ध कराने का वादा किया था और वे इसके बजाय बुलडोजर लाए। बीजेपी ने एमसीडी पर 15 साल राज किया और अवैध इमारतों का निर्माण किया। अब, एमसीडी 18 मई को अपना कार्यकाल पूरा करेगी। लेकिन, क्या बुलडोजर चलाना नैतिक होगा।
बीजेपी शासित एमसीडी का बुलडोजर सबसे पहले जहांगीरपुरी में पहुंचा था। वहां रामनवमी पर शोभायात्रा के दौरान साम्प्रदायिक तनाव हुआ। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने मांग की एमसीडी जहांगीरपुरी में बुलडोजर भेजे। अगले दिन बुलडोजर वहां पहुंच गए। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप कर रोका। उसके बाद साउथ एमसीडी ने शाहीनबाग और ओखला इलाके में बुलडोजर भेजे। जिसे वहां की जनता के भारी विरोध के बाद लौटना पड़ा। देश के अन्य बीजेपी शासित राज्यों में भी बुलडोजर का इस्तेमाल समुदाय विशेष को टारगेट करने के लिए किया गया।
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