चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एनवी रमना ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अगले सीजेआई के लिए जस्टिस यूयू ललित के नाम की सिफारिश की है। जस्टिस यूयू ललित का पूरा नाम उदय उमेश ललित है और वह सुप्रीम कोर्ट में दूसरे नंबर के सबसे सीनियर जज हैं। सीजेआई रमना 26 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं।
हाल में ही केंद्रीय कानून मंत्री किरेण रिजिजू ने रमना को पत्र लिखकर उनसे अगले सीजेआई का नाम सरकार को भेजने का अनुरोध किया था।
कौन हैं जस्टिस यूयू ललित?
जस्टिस यूयू ललित मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले हैं और वह भारत के 49वें सीजेआई होंगे। हालांकि उनका कार्यकाल 3 महीने से कम का होगा। जस्टिस यूयू ललित 8 नवंबर, 2022 को रिटायर हो जाएंगे।
जस्टिस यूयू ललित 13 अगस्त, 2014 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे और इससे पहले वह सुप्रीम कोर्ट में बतौर सीनियर एडवोकेट वकालत करते थे। उनके पिता जस्टिस यू आर ललित भी सीनियर एडवोकेट थे और दिल्ली हाई कोर्ट के जज थे।
आपराधिक मामलों के विशेषज्ञ
एक वकील के रूप में जस्टिस यूयू ललित विशेष रूप से आपराधिक कानून के मामलों में अपनी प्रैक्टिस के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने कई हाईप्रोफाइल आपराधिक मामलों को देखा है। साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 2जी घोटाला मामले में स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया था।
साल 2019 में जस्टिस यूयू ललित ने अयोध्या केस की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। उन्होंने इसके पीछे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की ओर से अवमानना के एक मामले में पैरवी करने का हवाला दिया था। यह मामला बाबरी मस्जिद विध्वंस से जुड़ा हुआ था।
जस्टिस ललित ने हाल ही में मौत की सजा देने के मामले में उचित दिशा-निर्देश दिए जाने की जरूरत बताई थी।
जस्टिस यूयू ललित देश के दूसरे ऐसे सीजेआई होंगे जो सीधे बार से सुप्रीम कोर्ट की बेंच तक पहुंचे हैं। इससे पहले जस्टिस एसएम सीकरी बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट की बेंच में पदोन्नत होने वाले पहले सीजेआई बने थे। जस्टिस सीकरी जनवरी, 1971 में 13वें CJI बने थे।
जस्टिस यूयू ललित तीन तलाक़ को असंवैधानिक बताने वाली संवैधानिक बेंच का भी हिस्सा थे। उन्होंने श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर के प्रशासन को त्रावणकोर की एक रॉयल फैमिली से अदालत के द्वारा नियुक्त प्रशासनिक कमेटी को सौंपने का आदेश देने वाली बेंच का भी नेतृत्व किया था।
उनकी अध्यक्षता वाली एक बेंच ने बॉम्बे हाई कोर्ट के द्वारा स्किन टू स्किन मामले में दिए गए विवादित फैसले को पलट दिया था।
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