इजरायल-हमास के बीच हो रही जंग को रुकवाने के लिए शनिवार को मिस्र की राजधानी काहिरा में 10 से ज्यादा देशों के शीर्ष नेता जुटे। यहां इसको लेकर शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया।
इसमें शिरकत कर रहे अरब नेताओं ने गाजा में इजरायल की बमबारी की निंदा की है। सम्मेलन में दशकों से चले आ रहे हिंसा के चक्र को समाप्त करने के लिए नए सिरे से प्रयास करने की मांग की गई है। इसका आयोजन मिस्र के राष्ट्रपति अब्देह फतेह अल सीसी के नेतृत्व में किया गया।
काहिरा शिखर सम्मेलन में जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला ने कहा कि सभी नागरिकों का जीवन मायने रखता है। गाजा में चल रही निरंतर बमबारी हर स्तर पर क्रूर है। यह घिरे हुए और असहाय लोगों को दी जा रही सामूहिक सजा है। यह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का घोर उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि गाजा में जो कुछ हो रहा है वह एक युद्ध अपराध है।
जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला ने कहा कि आम नागरिकों, बुनियादी ढांचे पर हमला करना और जानबूझकर पूरी आबादी को भोजन, पानी, बिजली जैसी बुनियादी आवश्यकताओं से भूखा रखना बेहद निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनियों की मौत पर पश्चिमी देशों की चुप्पी गलत है और इसकी निंदा करनी चाहिए। फिलिस्तीनियों को बेघर करना पूरी अरब दुनिया के लिए चिंता की बात है।
इजरायल गाजा के लोगों को भूखा मार रहा है। आज तक इजरायल को आम लोगों पर बमबारी करने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। उन्होंने कहा कि इजरायल को यह समझने की जरुरत है कि उसकी सुरक्षा चिंताओं का कोई सैन्य समाधान नहीं है।
इजरायल फिलिस्तीनियों का अधिकार नहीं छीन सकता है। उसे यह समझना चाहिए कि फिलिस्तीनियों की जिंदगी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी की इजरायलियों की है।
मध्य पूर्व में संघर्ष की बढ़ती आशंकाओं के बीच हुए इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ के साथ जॉर्डन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, चीन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, कतर और दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
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सदियों में बनाए गए मानव सभ्यता के मूल्य कहां गए?
इस शिखर सम्मेलन में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने नेताओं को गाजा पट्टी में मानवीय संकट को समाप्त करने, इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच शांति बहाल करने के एक रोड मैप के लिए एक समझौते पर आने के लिए आमंत्रित किया।उन्होंने कहा कि योजना के लक्ष्यों में गाजा को सहायता पहुंचाना और युद्धविराम पर सहमत होना, इसके बाद दो-राज्य समाधान के लिए बातचीत करना शामिल है।
मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने कहा कि उनका देश नागरिकों को निशाना बनाने और उनकी हत्या करने की खुले तौर पर निंदा करता है। उन्होंने पूछा कि आखिर सदियों में बनाए गए मानव सभ्यता के मूल्य कहां गए। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि गाजा के लोगों की सहायता के लिए राफा क्रासिंग खुली रहेगी।
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इजरायल का कोई प्रतिनिधि इसमें पहुंचा ही नहीं
अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस शिखर सम्मेलन में जहां इज़रायल की ओर से कोई प्रतिनिधि नहीं पहुंचा वहीं इसमें फ़िलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि फिलिस्तीनी अपनी जमीन से कहीं नहीं जायेंगे। हम अपनी ज़मीन पर ही रहेंगे।इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, इज़रायली पक्ष से किसी भी प्रतिनिधि और किसी वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी की अनुपस्थिति ने इस शिखर सम्मेलन से कुछ हासिल होने की उम्मीदें कम कर दी हैं।
अल जज़ीरा के राजनयिक संपादक जेम्स बेज़ ने कहा कि हालांकि इन देशों के लिए इस संकट से बाहर निकलने के लिए एक रोड मैप प्रस्तावित करना अच्छा है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि "क्या इज़रायल उस रोड मैप को सुनने जा रहा है?
यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब हमास द्वारा 7 अक्टूबर को किए गए आतंकी हमले में इजरायल के करीब 1400 लोग मारे गये थे। इसके जवाब में इजरायली बमबारी में करीब 4200 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।
अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक दोहा के हमद बिन खलीफा विश्वविद्यालय में मध्य पूर्व अध्ययन के सहायक प्रोफेसर मार्क ओवेन जोन्स इस शिखर सम्मेलन को लेकर ज्यादा उम्मीद नहीं जताते हैं। वे कहते हैं कि जमीनी स्तर पर इस शिखर सम्मेलन का प्रभाव सीमित होगा।
उन्होंने कहा कि इसका अधिकतम परिणाम युद्धविराम होगा, और थोड़ी अधिक मानवीय सहायता मिलने का रास्ता साफ होगा।
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